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शहीदों को सलाम व प्रणाम

SCHOOL OF EMINEC PUNJAB

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में कोकेरनाग क्षेत्र में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष, जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं भट्ट तथा इससे पहले राजौरी में शहीद हुए राइफलमैन रवि कुमार को सलाम और प्रणाम।

उपरोक्त लोगों की शहादत का समाचार उस समय आया जब देश जी-20 के सफल आयोजन को लेकर एक जश्न के दौर से गुजर रहा था। जम्मू-कश्मीर में 370 और 35ए की समाप्ति के बाद वहां पहुंच रहे यात्रियों की संख्या करोड़ों का आंकड़ा पार कर चुकी है। लोकतंत्र की बहाली के लिए पंचायत तथा नगरपालिकाओं और नगर परिषदों के चुनाव कराने की आहट सुनाई दे रही है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग भारत में विलय के लिए सडक़ों पर उतर रहे हैं।

उपरोक्त के ठीक विपरीत पाकिस्तान की व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। वहां के लोग महंगाई, बेरोजगारी तथा आतंकवाद तथा कट्टरपंथियों की गतिविधियों के कारण परेशान हैं। सेना और सरकार दोनों पाकिस्तान के वर्तमान और भविष्य को लेकर परेशान हैं। आर्थिक दृष्टि से कंगाल हुए पाकिस्तान को केवल चीन का सहारा ही रह गया है। चीन और पाकिस्तान दोनों को भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होती छवि व साख बर्दाश्त नहीं हुई तथा भारत के रंग में भंग डालने के इरादे से ही घाटी में आतंकी हमलों को तेज किया गया है।

पाकिस्तान और चीन की मनोदशा को समझा जा सकता है लेकिन प्रश्न यह है कि आखिर कब तक हम अपनी शहादतों पर आंसू बहाते व शहीदों पर फूल चढ़ाते रहेंगे। समय आ गया है कि भारत अब आतंकियों विरुद्ध एक निर्णायक कदम उठाए और इनकी रीढ़ की हड्डी को तोड़ दे। भारत सरकार की भी एक बड़ी समस्या यह है कि इस समय अगर सीमा पार जाकर सरकार के आदेश पर सेना आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त करती है तो विपक्ष मोदी सरकार के इस निर्णय को राजनीतिक लाभ लेने के लिए उठाया गया कदम करार देगी। अतीत में भी विपक्षी दल सरकार पर ऐसे आरोप लगाते रहे हैं।
शहीद हुए हमारे अधिकारियों व सैनिकों का खून भारत सरकार व देशवासियों से प्रश्न कर रहा है कि यह सिलसिला कब रुकेगा? 1947 से लेकर आज तक पाकिस्तान और उसके समर्थित आतंकी खूनी खेल खेलते आ रहे हैं। पीओके में की सर्जिकल स्ट्राइक को छोड़ दें तो पायेंगे कि हमने हमेशा सुरक्षात्मक नीति को ही प्राथमिकता दी है। यही कारण है कि आतंकी तथा आतंकियों को समर्थन व संरक्षण देने वाला पाकिस्तान भारत विरुद्ध खूनी खेल खेलता चला आ रहा है।

आज के भारत को अतीत की रक्षात्मक नीति को छोडक़र आतंकियों व उनके समर्थकों को चाहे वह सीमा के इस पार हैं या उस पार उनके प्रति आक्रमक नीति अपनानी होगी। केंद्र सरकार ने पिछले दिनों घाटी में करीब 4200 आतंकियों व उनके समर्थकों की सम्पत्तियों को जब्त करने का निर्णय लिया है। यह सरकार का सही दिशा में उठा कदम ही माना जाएगा। इसके अलावा सीमा के उस पार आतंकी ठिकानों को भी ध्वस्त कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता व कमजोर हुई आर्थिक स्थिति से पाकिस्तानियों का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान द्वारा ऐसी नापाक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। भारत सरकार को विपक्षी दलों को विश्वास में लेकर आतंकियों व उनके समर्थकों व उनको संरक्षण देने वालों विरुद्ध ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए।

भारत को अगर विश्व में एक शक्तिशाली देश के रूप में अपने आप को स्थापित करना है तो उसे कट्टरपंथियों, अलगाववादियों और आतंकियों विरुद्ध ठोस कार्रवाई व नीति अपनानी ही होगी।

शहीदों को प्रणाम तथा उनके परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करने के साथ-साथ इस कभी न भूलने वाले दु:ख को सम्मुख रख एक बार फिर देश पर मर मिटने वालों को सलाम व प्रणाम।
झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)   

 
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