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छात्रवृत्ति घोटाले में जांच के दायरे में आएंगे यूपी के 20 और कॉलेज

लखनऊ (उत्तम हिन्दू न्यूज): 500 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही जांच एजेंसियां अब 20 और कॉलेजों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो इस अपराध में शामिल हो सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांचकर्ताओं को ऐसे सुराग मिले हैं जो बताते हैं कि यह घोटाला जितना अनुमान लगाया जा रहा है उससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है।

इस बीच, प्रवर्तन निदेशालय मामले में नामजद आरोपियों की अब तक की 90 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी कर रहा है।

ईडी सूत्रों ने कहा कि इन 20 कॉलेजों ने कई करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति का गबन किया, जिसकी सही राशि का पता लगाया जा रहा है।

यह सामने आया कि इन 20 कॉलेजों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों में छात्रों के पंजीकरण में हेराफेरी की थी। संस्थानों/कॉलेजों पर विभिन्न योजनाओं के तहत उत्तर प्रदेश सरकार से छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए उन छात्रों का विवरण प्रस्तुत करने का आरोप लगाया गया है, जो उनके साथ कभी नामांकित नहीं थे।

बैंक खाते खोलने के तुरंत बाद, वे छात्रों के रूप में पंजीकृत हो गए और उनके खातों में आने वाली सभी छात्रवृत्ति का उपयोग मालिकों द्वारा किया जाने लगा। सूत्रों ने कहा कि उनके खातों में इस तरह के किसी भी लेन-देन के बारे में उन्हें अंधेरे में रखा गया।

ईडी तीन गिरफ्तार व्यक्तियों, जिनकी पहचान इजहार हुसैन जाफरी, अली अब्बास जाफरी और रवि प्रकाश गुप्ता के रूप में की गई है, से संबंधित 90 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर रही है।

सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तार किए गए तीन आरोपियों में से एक रवि प्रकाश गुप्ता सिर्फ ग्रेजुएट था, लेकिन उसे इनमें से एक संस्थान का प्रिंसिपल बनाया गया, जो नियमों के खिलाफ है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अप्रैल में छात्रवृत्ति घोटाले के सिलसिले में शैक्षणिक संस्थानों के तीन मालिकों को गिरफ्तार किया था।

फरवरी में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में 10 शैक्षणिक संस्थानों पर ईडी के छापे के बाद ये गिरफ्तारियां हुईं। इसने कथित तौर पर न केवल इन 10 संस्थानों के बल्कि कई अन्य कॉलेजों और संस्थानों के संबंध में भी अपराध के महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए, जो प्रथम ²ष्टया घोटाले में लिप्त पाए गए थे।

ईडी की जांच से पता चला है कि ये तीनों हाइगिया ग्रुप ऑफ कॉलेजों से घोटाले का संचालन कर रहे थे और छात्रों के रूप में दिखाए गए अपात्र व्यक्तियों के आधार और बैंक विवरण का उपयोग करके धोखाधड़ी से छात्रवृत्ति राशि प्राप्त कर रहे थे।

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