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59,0343 पैंडिंग मामलों के जल्द न्याय हेतु हाईकोर्ट एकमात्र विकल्प : बदराण

चंडीगढ़,(चंद्र शेखर धरणी)- पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष कुल मामले लगभग 4,00000 हैं और जिला और अधीनस्थ न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों में पंजाब के 517970, हरियाणा के 590343 और चंडीगढ़ के 43121 हैं। ये शब्द हरियाणा आवाज मंच के राष्ट्रीय सयोंजक व पंजाब हरियाणा बार कौंसिल के पूर्व चैयरमैन रणधीर सिंह बदरांन ने कहे। रणधीर सिंह बदरांन ने कहा कि विभिन्न न्यायालयों में लंबित 4,69,46,370 करोड़ मामले (उच्चतम न्यायालय 70154, उच्च न्यायालय 58,90762 और 4,09,85,490/अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष) भारत न्याय वितरण प्रणाली के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर रहा है और अन्य मामलों को शामिल करने के बाद ट्रिब्यूनल और कमीशन यह 6 करोड़ से अधिक तक जाता हैहरियाणा के अलग उच्च न्यायालय की मांग आज की जरूरत है। ट्रिब्यूनल, कमीशन आदि सहित भारत में सभी मुकद्दमों में 6 करोड़ से अधिक का मूल्यांकन किया गया और न्याय वितरण प्रणाली में मजबूत विश्वास बनाए रखने के लिए तत्काल कदमों की आवश्यकता थी।
रणधीर सिंह बदरांन ने कहा कि आज भारत की केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के साथ-साथ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ उच्च न्यायालयों के समक्ष बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि भारत में डोर स्टेप न्याय प्रदान करने के लिए मामलों के शीघ्र निपटान के लिए प्रणाली विकसित की जाए। हर संभव कदम उठा रहे हैं। भारत में मामलों की पेंडेंसी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। 2.5.2022 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित मामलों की कुल संख्या पिछले 3 वर्षों में लगभग 8त्न वार्षिक वृद्धि के साथ 70572 हो गई है। उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों की संख्या 23.3.2022 को 12प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 5890726 है। भारत में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष लंबित मामलों की संख्या 28.03.2022 तक 40985490 हो गई है, जिसमें पिछले तीन वर्षों में वार्षिक वृद्धि लगभग 13त्न है। भारत के सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों और जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष कुल लंबित मामले 4,69,46,370/
स्थिति से निपटने का सुझाव। रणधीर सिंह बदरांन ने कहा की उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों के साथ-साथ लोक आयोगों के न्यायाधिकरणों के समक्ष रिक्तियों के विरुद्ध न्यायाधीशों की तत्काल नियुक्ति उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की मौजूदा रिक्तियों के साथ-साथ न्यायाधिकरणों/आयोगों की रिक्तियों को तीन गुना बढ़ाना और जिलों और अधीनस्थ न्यायालयों के न्यायाधीशों की रिक्तियों को दोगुना करना।सभी बैकलॉग को दूर करने के लिए सभी उच्च न्यायालयों में फास्ट ट्रैक्ट कोर्ट का निर्माण और सभी वरिष्ठ नामित अधिवक्ताओं को फास्ट ट्रैक्ट कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करना। बैकलॉग क्लियर करने के लिए जिला और अधीनस्थ न्यायालयों के समक्ष फास्ट-ट्रैक कोर्ट का निर्माण और 25 साल की सक्रिय प्रैक्टिस वाले अधिवक्ताओं की नियुक्ति। मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, लखनऊ और चंडीगढ़ में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अतिरिक्त बेंचों के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर उच्च न्यायालयों का निर्माण जरूरी है।
रणधीर सिंह बदरांन ने कहा कि मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई, लखनऊ और चंडीगढ़, पटना और भोपाल में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग, एनसीएलएटी, डीआरएटी, एनसीडीआरसी की अतिरिक्त बेंचों का निर्माण, हरियाणा के अलग उच्च न्यायालय और बार काउंसिल का निर्माण, हरियाण प्रदेश का अपना अलग हाईकोर्ट की मांग काफी समय से चली आ रही है। पिछल्ली सरकारों में भी यह मांग उठती रही है। दिल्ली में न्यायाधीशों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा में अलग हाईकोर्ट के ब्यान के बाद हरियाणा के अधिवक्ताओं की लंबे समय से लंबित मांगों को बल मिला। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय दोनों राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का संयुक्त है।

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