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हरियाणा में प्राइवेट नौकरियों में नहीं मिलेगा 75% आरक्षण, हाईकोर्ट ने रद्द किया प्रावधान

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी): निजी क्षेत्र में राज्य के मूल निवासियों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले हरियाणा के कानून के खिलाफ याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार के कानून को रद्द कर दिया है। जस्टिस जी एस संधावालिया व जस्टिस हरप्रीत कौर जीवन यह आदेश जारी किया।

6 नवंबर, 2021 को राज्य के श्रम विभाग द्वारा इस संबंध में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी। कानून में प्रावधान है कि नए कारखानों/उद्योगों या पहले से स्थापित उद्योगों/संस्थानों में 75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के मूल निवासियों को दी जाएंगी। यह केवल हरियाणा राज्य में स्थित विभिन्न निजी तौर पर कंपनियों, सोसायटी, ट्रस्ट, सीमित देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी फर्म आदि में 10 या अधिक व्यक्तियों को रोजगार देने वाले 30,000 रुपए प्रति माह से कम वेतन वाली नौकरियों पर लागू है। हालांकि, 3 फरवरी, 2022 को हाई कोर्ट ने राज्य में कानून के लागू करने पर पर रोक लगा दी।

इसके बाद हरियाणा सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने 17 फरवरी, 2022 को हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और हाई कोर्ट को इस मुद्दे पर चार सप्ताह में फैसला करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार इस मामले पर 16 मार्च 2022 तक हाई कोर्ट ने फैसला लेना था। मामले में फरीदाबाद व गुरुग्राम के औद्योगिक संगठनों ने याचिका दायर कर हरियाणा में 15 जनवरी 2022 से लागू रोजगार गारंटी कानून पर रोक लगाने की मांग कर रखी है। रोजगार गारंटी कानून के तहत प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों, खासकर उद्योगों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान है।

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