कपूरथला/कुलदीप भारद्वाज : आचार्य धीरज कृष्ण शास्त्री ने बताया कि भागवत कथा भगवान कृष्ण का दूसरा रूप है और इसके पठन-पाठन से मनुष्य को पापों से मुक्ति व सर्व सुखों की प्राप्ति होती है। यह श्रीकृष्ण का स्वरूप है। भागवत कथा में दिए उपदेशों पर चलकर मनुष्य इस कलयुग में ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। कलियुग में श्रीमद् भागवत महापुराण श्रवण कल्पवृक्ष से भी बढक़र है। क्योंकि कल्पवृक्ष मात्र तीन वस्तु अर्थ, धर्म और काम ही दे सकता है। मुक्ति और भक्ति नहीं दे सकता है। श्रीमद् भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। श्री रानी साहिब मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत पुराण कथा में पांचवे दिन श्रीकृष्ण बाल लीलाओं का वर्णन किया गया।
भागवत आचार्य श्री धीरज कृष्ण शास्त्री जी ने कहा कि भागवत कथा को पांचवां वेद कहा गया है जिसे पढ सकते हैं और सुन सकते हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं।
इस अवसर पर मंदिर कमेटी के महासचिव शशि पाठक, कोषाध्यक्ष अजीत कुमार, मंदिर के उपप्राधन मोहित गुप्ता, साहिल गुप्ता, वरु ण शर्मा, सुनील कुमार, प्रमोद कुमार, विक्की गुप्ता, अमनदीप गोल्डी, रछपाल सिंह, अशीश मल्होत्रा ,शोभा रानी , श्री सत्यनारायण मंदिर के नरेश गोसाई, राजेश सूरी, कृष्ण कुमार, प्रेम पाल , संजय कालीया, सुनील कुमार सीलू , अनील अग्रवाल , रविंदर अग्रवाल वीक्रम गुप्ता , रमन कुमार आदि शामिल थे।
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