मानसून की भविष्यवाणी इंसान भी करते हैं तो परिंदे भी पीछे नहीं है। ऐसा ही एक पक्षी है टिटहरी, इसे कुदरत ने ऐसा करिश्मा दिया है, जो अपने अंडों के जरिए अच्छे मानसून का संकेत देता है। टिटहरी खेतों में अंडों के माध्यम से बारिश की सटीक भविष्यवाणी करती है। इसके अंडों की संख्या और उनकी स्थिति से पता लगाया जा सकता है कि बारिश कितने माह और किस तरह होगी।
टिटहरी पक्षी ने मानसून से पहले खेत की ऊंची मेढ़ पर चार अंडे दिए हैं। इससे देसी मौसम विज्ञानी यानी कि गांव के बुजुर्गों का मानना है कि इस बार बरसात का मौसम पूरे 4 माह तक रहेगा और अच्छे मानसून रहने के आसार हैं। मानसून का अंदाजा लगाने के लिए टिटहरी पक्षी की गतिविधि पर निगाह रखी जाती है। टिटहरी मानसून से पहले अंडे देती है। टिटहरी अगर दो अंडे देती है तो माना जाता है कि मानसून की अवधि 2 माह रहेगी। टिटहरी ने ऊंचे स्थान पर चार अंडे दिए हैं, ऐसे में माना जाता है कि इस बार बरसात का मौसम पूरे 4 माह रहेगा और ये अच्छे मानसून रहने के संकेत हैं। यह मादा अगर छह अंडे देती है तो मानसून में अच्छी पैदावार व बरसात की उम्मीद बन जाती हैं। खुले घास के मैदान, छोटे-मोटे पत्थरों, सूनी हवेलियों व सूनी छतों पर बसेरा करने वाली टिटहरी का प्रजनन मार्च से अगस्त माह के दौरान होता है। मानना है कि यदि टिटहरी ऊंचे स्थान पर अंडे रखती है तो बारिश तेज होती है। यदि टिटहरी निचले स्थान पर अंडे देती है तो उस साल कम बारिश होती है। यदि तीन अंडे हो तो 3 माह और 4 हो तो 4 माह बारिश का अनुमान लगाया जाता है। वहीं टिटहरी के अंडों का मुंह जमीन की ओर होने पर मानसून के दौरान मूसलाधार बारिश, समतल स्थान पर रखे होने पर औसत बारिश और किसी गड्ढे में अंडे दिए जाने पर सूखा पडऩे का अनुमान लगाया जाता है।
चिडिय़ा और चींटियां
चिडिय़ा के घोंसले की उंचाई से भी बारिश का अंदाजा लगाया जाता है। अगर चिडिय़ा ने घोंसला पर्याप्त उंचाई पर बनाया हो, तो इसे अच्छी वर्षा का प्रतीक माना जाता है। यदि घोंसला नीचा है, तो वर्षा की अनुमान भी सामान्य से कम होने का लगाया जाता है। जानवरों के अलावा पेड़, पौधों से भी वर्षा का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। माना जाता है कि यदि कोई पक्षी धूल मिट्टी में स्नान करता है तो ये जल्द बरसात होने के संकेत हैं। माना जाता है कि धूल मिट्टी में स्नान करते हुए पक्षी को देखें तो 24 घंटे के अंदर बरसात हो जाती है।
इसी तरह अगर चींटियां कतार बनाकर अपने अंडों को एक दिशा से दूसरी तरफ ले जाती हुई नजर आएं तो समझ लेना चाहिए कि जल्द ही बरसात होने वाली है। चींटियों को जमीन में नमी बहुत जल्दी महसूस हो जाती है, इसलिए वे संभावित बरसात को देखते हुए अपने अंडों को सुरक्षित स्थान की ओर ले जाती हैं और ये बरसात के संकेत होते हैं।
पेड़, पौधों से भी वर्षा का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। माना जाता है कि गोल्डन शावर नाम के पेड़ में फूल आने के 45 दिन के अंदर बारिश शुरू हो जाती है। इसी तरह अगर नीम का पेड़ फूलों से भर जाए, तो इसे बहुत अच्छी बारिश का संकेत माना जाता है।
1-आकाश में सारस का झुंड यदि गोलाकार परावलय बनाकर उड़ता दिखे, तो यह शीघ्र वर्षा का संकेत माना जाता है।
2-पेड़ों पर दीमक तेजी से घर बनाने लगें तो इसे अच्छी वर्षा का संकेत माना जाता है।
3-मोरों का नाचना, मेंढक का टर्राना और उल्लू का चीखना तो पूरे भारत में वर्षा का संकेत माना ही जाता है।
4-बकरियां अगर अपने कानों को जोर-जोर से फडफ़ड़ाने लगें, तो यह भी शीघ्र वर्षा होने का सूचक माना जाता है।
5-भेड़ें अगर अचानक अपने समूह में इक_ी होकर चुपचाप खड़ी हो जाएं, तो समझा जाता है कि भारी बारिश शुरू होने ही वाली है।
6-यदि इल्लियां तेजी से अपने लिए छिपने की जगह ढूंढने लगें, तो इसे भी बारिश जल्दी ही शुरू होने का संकेत माना जाता है।
7-शाम ढलते समय अगर लोमड़ी की आवाज कहीं दूर से दर्द से चीखने जैसी आए, तो यह बारिश आने का आसार मानी जाती है।
8-बारिश के संदर्भ में कौवों का आकलन काफी सटीक होता है। कौवे यदि मई के महीने में अपना घोंसला बबूल या सावर जैसे कांटेदार वृक्षों पर बनाते हैं तो बारिश के कम होने की संभावना रहती है। इसके विपरी यदि वे आम या करंज के वृक्ष पर घोंसला बनाते हैं तो ये अच्छी बारिश के संकेत होते हैं।
मदन गुप्ता सपाटू
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