गुरुग्राम (उत्तम हिन्दू न्यूज): आइओटी वॉटरटेक स्टार्टअप ‘बून’ ने विश्व पर्यावरण दिवस पर हरियाणा की गुरुग्राम पुलिस को कांच से बनी तीन सौ पानी की बोतलें भेंट की है। एसीपी मनोज कुमार की उपस्थिति में गुरुग्राम स्थित उद्योग विहार पुलिस स्टेशन में सोमवार को पर्यावरण दिवस के अवसर पर पुलिसकर्मियों को कांच की बोतलें दी गयीं।
‘बून’ की प्रबंध निदेशक डॉ. विभा त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा , “बून में हम जल प्रदूषण, संरक्षण और स्थायी जल प्रबंधन पद्धतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं। गुरुग्राम पुलिस के साथ हमारा नवीनतम अभियान पर्यावरण से सम्बंधित चुनौतियों को हल करने और ज्यादा स्वस्थ तथा स्थायी पर्यावरण सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की दिशा में एक और कदम है।”
डॉ. त्रिपाठी ने कहा , “हमारा मानना है कि विशेषकर हमारे पुलिस बल के लिए ड्यूटी के दौरान ध्यान, ऊर्जा का स्तर और समग्र शारीरिक एवं मानसिक कार्यप्रदर्शन बनाए रखने के लिए हाइड्रेशन बेहद महत्वपूर्ण है। शुद्धिकरण प्रणाली और कांच की बोतलों को भेंट करना एक कारगर कदम है।”
श्री मनोज कुमार ने ‘बून’ के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा , “हम इस अभियान के लिए ‘बून’ को हार्दिक धन्यवाद देते हैं। इस अभियान से हमारे पुलिस बल को इस क्षेत्र में खुद को पर्यावरण प्रहरी के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। हमारा विश्वास है कि विश्व पर्यावरण दिवस पर इस पहल का पुलिस बल पर सकारात्मक प्रभाव होगा। इस पहल में स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, पर्यावरण संबंधी जागरूकता बढ़ाने और पर्यावरण के प्रति ज्यादा सचेत समाज के समग्र विकास में योगदान करने की व्यापक संभावना है। साथ ही, इससे गुरुग्राम ज्यादा सुरक्षित तथा ज्यादा सस्टेनेबल बनेगा।”
यूएनईपी (संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम) के अनुसार, हर मिनट प्लास्टिक की करीब 10 लाख बोतलें खरीदी जाती हैं। इन सिंगल यूज़ प्लास्टिक वॉटर बॉटल्स को लम्बी दूरी तक ले जाने की ज़रुरत होती है, जिससे ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं और हमारे कमजोर इकोसिस्टम पर गंभीर ख़तरा पैदा होता है। इसके अलावा, प्लास्टिक की अधिकांश बोतलें पॉलीईथलीन टेरेथैलेट (पीइटी) से बनी होती हैं। हाल ही में किये गए अनुसंधान से पता चलता है कि बोतलों में थैलेट सूक्ष्म प्लास्टिक कणों (आकार में पाँच मिलीमीटर से छोटे प्लास्टिक का कचरे के नन्हे टुकड़े) में विखंडित होकर आपके पानी में घुल सकता है। विशेषकर, ज्यादा गर्मी में रहने या लम्बे समय तक स्टोर करने से ऐसी आशंका ज्यादा होती है।
‘बून’ द्वारा चलाये जा रहे नेट जीरो वॉटर इनिशिएटिव का लक्ष्य न केवल कार्बन घनत्व कम करना, बल्कि सूक्ष्म प्लास्टिक से मुक्त सेहतमंद और स्थायी विकल्प प्रदान करना भी है। गूगल, पेप्सिको, और मैक्किंसी जैसे अनेक कॉर्पोरेट दिग्गज और ताज, ओबेरॉय आदि जैसे होटल चेन पहले ही से इसके नेट जीरो वॉटर इनिशिएटिव से जुड़ चुके हैं।
सिंगापुर स्तिथ ‘बून’ ने भारत और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में जबरदस्त वृद्धि का प्रदर्शन किया है। रणनैतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान में स्थित होने के कारण इसे पानी की गुणवत्ता और हाइड्रेशन डिलीवरी के मामले में आसियान राष्ट्रों (दक्षिण-पूर्व के एशियाई देश)के लिए दृश्यता मिलती है। भारत में बून की मजबूत मौजूदगी है, जहाँ गुरुग्राम में इसका अनुसंधान और विकास (आरऐंडडी) केंद्र है और मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, हैदराबाद एवं पुणे में इसकी टीमें कार्यरत हैं। इसके अलावा इसने अफ्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्र में अपना विस्तार किया है और आसियान क्षेत्र में अपने विस्तार की योजना पर काम कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि ‘बून’ पहले स्वजल के नाम से जाना जाता था। यह एक प्रभावी वॉटर-टेक स्टार्टअप है जो पेय जल के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए तकनीक और नवाचार का प्रयोग करता है। यह जल को एक वरदान मानता है। वर्ष 2014 में बून के वॉटरएटीएम की शुरुआत की थी और निगरानी के लिए क्लेयर्वोएंट™ नामक विश्व का पहला आईओटी मॉनिटरिंग प्लैटफॉर्म विकसित किया था।
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