ईटानगर (उत्तम हिन्दू न्यूज): अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने गुरुवार को कहा कि चीन ने भारत (अरुणाचल) में प्रवेश करने से ठीक पहले तिब्बत में सियांग नदी पर 60,000 मेगावाट का बांध बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिस पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों विचार कर रहे हैं। सरकार को चीन के विकास कार्य से होने वाले संभावित खतरे की जानकारी है। चीन के प्रस्तावित बांध निर्माण और उससे संभावित खतरे पर बुधवार को अरुणाचल विधानसभा में भी चर्चा हुई।
पूर्वी सियांग जिले के मेबो में तीन दिवसीय बांगगो सोलुंग समारोह के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार अपने स्तर पर विकास के लिए प्रतिक्रिया दे रही है, वहीं राज्य सरकार की चिंता सियांग नदी को बचाने की है। सभी लागत और इसके प्रवाह को नियंत्रण में रखने के लिए भी।
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि त्सांगपो नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने से पहले तिब्बत से होकर बहती है, जहां इसे सियांग नदी कहा जाता है। बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले यह असम में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में जमुना बन जाती है।
उन्होंने कहा, “इतिहास गवाह है कि हम अपने ‘पड़ोसी’ पर भरोसा नहीं कर सकते। आप कभी नहीं जानते कि वे क्या कर सकते हैं। वे या तो पूरी नदी के प्रवाह को मोड़ सकते हैं, हमारे सियांग को सुखा सकते हैं, या तुरंत पानी छोड़ सकते हैं, जिससे नीचे की ओर अभूतपूर्व बाढ़ की तबाही हो सकती है।”
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