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पुुलिस और पहलवानों में टकराव

अपनी मांगों को लेकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों का गत बुधवार देर रात धरनास्थल पर फोल्डिंग बिस्तर ले जाने के मुद्दे पर पुलिस के साथ तब टकराव हो गया जब पुलिस ने उन्हें फोल्डिंग बिस्तर ले जाने की अनुमति नहीं दी। इस बात पर दोनों पक्ष एक-दूसरे से भिड़ गये। पहलवानों का आरोप है कि इस हंगामे के बीच विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया समेत अन्य पहलवानों को चोटें आईं हैं। नशे में एक पुलिस कर्मचारी ने विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और संगीता फोगाट से बदतमीजी की। उसने कथित तौर पर महिला पहलवानों को गालियां भी दीं। पहलवानों का आरोप था कि हंगामे के वक्त पुलिस कर्मचारी नशे में थे। हालांकि दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के इन आरोपों को खारिज किया है। पुलिस उपायुक्त, नई दिल्ली अनुसार बुधवार की देर रात हुई इस झड़प में पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। पुलिस उपायुक्त ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया है कि रात के समय पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस अधिकारी मौके पर थीं। मेडिकल परीक्षण में कोई पुलिसकर्मी शराब के नशे में नहीं मिला है। झड़प के दौरान पांच पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

उन्होंने आगे लिखा कि पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोई बल प्रयोग नहीं किया। एक प्रदर्शनकारी को लगी चोट के संदर्भ में उन्होंने कहा कि डाक्टरों की सलाह के विपरीत घायल ने अस्पताल से छुट्टी ले ली है और अभी तक पुलिस को बयान नहीं दिया है। प्रदर्शनकारियों के अनुसार, दो पहलवानों राहुल यादव और दुष्यंत फोगाट को घटना में चोटें आईं हैं। पुरस्कार विजेता विनेश फोगाट को सिर में चोट आई है। डीसीपी अनुसार किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए दिल्ली में जगह-जगह अवरोधक लगाए गए हैं। मालूम हो कि पुलिस ने बुधवार की रात पहलवानों के प्रदर्शन में पहुंचे राज्यसभा सदस्य दीपेन्द्र हुड्डा और मालिवाल को हिरासत में लिया था। मामले में पहलवान बजरंग पुनिया का कहना है कि अगर पदक का ऐसा सम्मान है तो हम इस पदक का क्या करेंगे। इससे अच्छा तो हम मामूली जिंदगी जी लेेंगे और हमने जो पदक जीते हैं उसे हम भारत सरकार को वापिस कर देंगे। धक्का मुक्की और गाली गलौज के समय पुलिस को नहीं दिखता कि ये पद्म श्री हैं। उन्होंने इस सम्मान की भी लाज नहीं रखी।

महिला पहलवानों द्वारा देश के उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका पर फैसला देते हुए न्यायालय ने कहा है कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है और सात शिकायतकर्ताओं को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की गई है। शिकायतकर्ता अब आगे का मामला उच्च न्यायालय में ले जाएं।
जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पहलवानों को लेकर देश के खेल मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है कि खिलाडिय़ों की मुख्य रूप से तीन मांगें थीं। एक तो पूरे मामले की जांच की जाए, दूसरा खेल एसोसिएशन के चुनाव हों और तीसरी कि एसोसिएशन की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाई जाए। हमने इन मांगों के अनुरूप सारे कदम उठाए। जांच कमेटी ने 14 बैठकें कीं जिनमें सभी पक्षों को निर्भयता पूर्वक अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया। एक एडहॉक कमेटी का गठन किया गया है जो खिलाडिय़ों का चयन किया करेगी। वही कमेटी रेस्लिंग फेडरेशन को भी चलाएगी। सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। दूसरी ओर यौन शोषण के लगे आरोपों पर दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और पुुलिस जांच कर रही है। हैरानी की बात है कि इसके बावजूद धरना क्यों जारी है। जो भी काम होगा कानून के दायरे में रहकर ही होगा।

खिलाडिय़ों के साथ मिल कर पप्पू यादव, प्रियंका गांधी, अरविंद केजरीवाल, सोमनाथ भारती जैसे कई ऐसे नेता प्रदर्शन कर रहे हैं जिनको लेकर कई तरह के सवाल खड़े किए जा सकते हैं। यहां तक कि प्रियंका गांधी के साथ जो कांग्रेस के नेता धरने पर आए खुद उन पर यौन शोषण के आरोप कांग्रेस की महिला कार्यकर्ता लगा चुकी हैं। उपरोक्त मुद्दे के दो पहलू हैं, एक कानून का और दूसरा भावनात्मक। पहलवानों के साथ जिस तरह दिल्ली पुलिस ने व्यवहार किया है वह भावनात्मक दृष्टि से उचित करार नहीं दिया जा सकता है। समय और वहां की परिस्थितियों को देखते हुए दिल्ली पुलिस को धैर्य व परिपक्वता के साथ खिलाडिय़ों से पेश आना चाहिए था। धरने पर बैठे पहलवानों में अधिकतर वह हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है। उनका समाज में एक विशेष स्थान है। इन सब बातों को भूलकर दिल्ली पुलिस ने उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जिस कारण पहलवानों के मान-सम्मान को ठेस लगी और वह भावुक हो गए तथा उनकी आंखों से आंसू छलक गये, यह चिंता व दु:ख का विषय है।

खेल मंत्री का यह कहना ठीक है कि पहलवानों की तीनों मांगें स्वीकार कर ली गई और आगे जो होगा कानून अनुसार होगा लेकिन सरकार को भावनात्मक पहलू का ध्यान रखते हुए पहलवानों से संपर्क कर उनको यह विश्वास देना चाहिए कि उनको कानून अनुसार ही न्याय मिलेगा। अनुशासन ही तो खिलाडिय़ों की सफलता का राज है। सो पहलवानों को भी मर्यादा में रहकर ही अपनी बात सरकार सम्मुख रखनी चाहिए। पहलवानों को भी समझना चाहिए कि वह राजनीतिक दलों को अपने कंधे का इस्तेमाल न करने दें। मामले का अगर राजनीतिकरण हो गया तो उसका लाभ आरोपी को ही मिलेगा। स्थिति को सामान्य करने के लिए खेल मंत्री की बात मानकर तथा धरना समाप्त कर पहलवानों को आरोपी को सजा देने के लिए ही संघर्ष करना चाहिए।  

झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)

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