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संवैधानिक नहीं सीपीएस का पद, सरकार से नहीं पूछ सकते सवाल

नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति पर बोले स्पीकर, सीपीएस विभाग के मंत्री की मदद करने के लिए नियुक्त किया जाता है, उन्हें को-मिनीस्टर का स्टेटस नहीं –

शिमला/ऊषा शर्मा : हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार में नियुक्त छह मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) सदन में सरकार से कोई सवाल नहीं पूछ सकते। सीपीएस का पद संवैधानिक नहीं है। प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने शुक्रवार को सदन में व्यवस्था दी कि मुख्य संसदीय सचिव की नियुक्ति विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून के तहत हुई है। उन्हें संबंधित विभाग के मंत्री की मदद करने के लिए नियुक्त किया जाता है। लिहाजा उन्हें को-मिनीस्टर का स्टेटस नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव क्योंकि प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई सुविधाएं भोग रहे हैं, ऐसे में उन्हें सरकार से सवाल पूछने का भी अधिकार नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने यह व्यवस्था शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा एक मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी द्वारा प्रश्नकाल के दौरान अपनी ही सरकार से सवाल पूछे जाने के बाद दी। विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी इस व्यवस्था के बाद उस सवाल को भी सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जो संजय अवस्थी ने पूछा था। इससे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष द्वारा यह मुद्दा उठाए जाने के बाद अपना फैसला आज दोपहर बाद के लिए सुरक्षित रख दिया था।
इससे पहले सदन में यह मुद्दा उठाए जाने के बाद मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव का पद संवैधानिक पद बिल्कुल नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव व संसदीय सचिव के पद का सृजन हाईकोर्ट के निर्णय के बाद वर्ष 2003 में किया गया था। इन पदों का सृजन चीफ व्हिप और व्हिप की तर्ज पर किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार में फाइलें निर्धारित प्रक्रिया के तहत गुजरती हैं और ऐसे में सीपीएस भी अपने विभाग से संबंधित फाइलों को देख सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य संसदीय सचिवों द्वारा अपने वाहन पर तिरंगा झंडा लगाने और पायलट या एस्कॉर्ट जैसी सुविधा का इस्तेमाल करने को लेकर कोई जानकारी नहीं है। अगर, विपक्ष इस संबंध में कोई सुबूत देता है तो उस पर विचार किया जाएगा
उन्होंने कहा कि संविधान के मुताबिक किसी भी प्रदेश के मंत्रिमंडल में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या के 12 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती।
उन्होंने कहा कि मुख्य संसदीय सचिव अपने वाहन पर तिरंगे झंडे अथवा अन्य सुविधाओं का भी उपयोग नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि विधानसभा द्वारा पारित मुख्य संसदीय सचिव और संसदीय सचिव कानून के अनुसार कोई भी मुख्य संसदीय सचिव या संसदीय सचिव फाइल पर सुझाव के रूप में नोटिंग कर सकता है लेकिन उस पर निर्णय लेने का अधिकार मंत्री के पास है।
इससे पूर्व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आज प्रश्नकाल के बाद प्वाइंट ऑफ ऑर्डर के माध्यम से मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी द्वारा अपनी ही सरकार से सवाल पूछे जाने का मामला उठाया। जयराम ठाकुर ने दलील दी कि मुख्य संसदीय सचिव चूंकि कैबिनेट मिनीस्टर के समान ही सुविधाएं भोग रहे हैं और न केवल सरकारी कार्यालयों का प्रयोग कर रहे हैं बल्कि फाइलों पर भी ऑर्डर कर रहे हैं। लिहाजा किसी भी मुख्य संसदीय सचिव व संसदीय सचिव को अपनी ही सरकार से सवाल पूछने का अधिकार नहीं है।
बाकस
३ संशोधन विधेयक बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित
हिमाचल विधानसभा के शिमला में चल रहे मानसून सत्र में शुक्रवार को तीन संशोधन विधेयकों को बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पिछले कल इन विधेयकों को सदन में पेश किया था। पारित किए गए संशोधन विधेयकों में हिमाचल प्रदेश (सडक़ द्वारा कतिपय माल के वहन पर) कराधान संशोधन विधेयक, 2023, हिमाचल प्रदेश नगरपालिका सेवा (संशोधन) विधेयक, 2023 तथा हिमाचल प्रदेश माल और सेवा कर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2023 शामिल है। इसके अलावा राजस्व संबंधी मामलों का निपटारा समयबद्ध तरीके से करने के उद्देश्य से राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने विधानसभा में हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व (संशोधन) विधेयक, 2023 प्रस्तुत किया। संशोधन विधेयक के प्रावधानों के अनुसार इसके पारित होने के बाद कलैक्टर को किसी भी अपील का निपटारा 30 दिनों में करना होगा। कमीशनर के पास अपील का निपटारा 60 दिन तथा वित्तायुक्त को इसका निपटारा 90 दिनों में करना होगा। संशोधन विधेयक में समन देने के तरीकों को भी बदला गया है। किसी व्यक्ति के उपस्थित नहीं होने की स्थिति में उसके अंतिम रहने के स्थान पर इसे चिपका दिया जाएगा। इतना ही नहीं उसके क्षेत्राधिकार वाली भूमि के समीप भी समन को चिपकाया जाएगा।

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