पंजाब भाजपा के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भाजपा के प्रशिक्षण शिविर में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ वर्षों में वो कर दिखाया जो बीते साढ़े छह दशक में नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसान हितैषी फैसले को धरातल पर उतारा। नीतिगत पक्षाघात पिछली सरकारों के डीएनए में था, जो कृषि क्षेत्र में दबाव के लिए जिम्मेदार रही है। बीते आठ वर्षों में प्रधानमंत्री ने अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया है। पीएम ने किसानों के उत्थान के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा, किसान निधि व आर्थिक विकास में सुधार के लिए कदम उठाए। प्रधानमंत्री भारत को दुनिया में ‘एक शक्तिशाली कृषि घर’ बनाना चाहते हैं, जो बहुत जल्द वास्तविक रूप लेगा। देश में पर्याप्त खाद्यान्न होने के बाद अब केंद्र की भाजपा सरकार इस हकीकत की ओर काम कर रही है।
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने जो कहा है उसको तथ्यों द्वारा प्रमाणित भी किया जा सकता है। पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार द्वारा लिए ऐतिहासिक फैसले इस प्रकार है- छ्व नोटबंदी (8 नवम्बर 2016): 500 और 1000 रु. के नोट बंद किए। असर: 2020 में चीन के 25.4 अरब की तुलना में भारत ने 25.5 अरब ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर पीछे छोड़ा। अमेरिका को पछाड़ा। छ्व सर्जिकल स्ट्राइक: (28-29 सितंबर 2016): पाक में घुसकर हमला। असर: पड़ोसी को मुंहतोड़ जवाब, लोकसभा चुनाव में सत्ता लौटी। छ्व जीएसटी (1 जुलाई 2017): एक देश, एक टैक्स नीति लागू की गई। असर: जुलाई 2021 में हर महीने जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ के पार, जो रिकार्ड है। मार्च 22 में 1,42,095 करोड़ रहा। छ्व तीन तलाक (1 अगस्त 2019): 3 बार तलाक बोलने की प्रथा खत्म। असर: 80 प्रतिशत मामले घटे। कानून लागू होने से पहले यूपी में 63 हजार केस थे। कानून बनने के बाद सिर्फ 221 केस ही आए। छ्व अनुच्छेद 370 (5 अगस्त 2019): जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया इससे राज्य को मिले सभी विशेषाधिकार खत्म कर दिए गए। असर: आरटीई और मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं का फायदा मिला। अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन ले सकते हैं। छ्व सीएए (10 जनवरी 2021): यहां बसे प्रवासियों को नागरिकता दी। असर: अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को फायदा हुआ। इन देशों के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म के लोगों को नागरिकता दी गई। छ्व सरकारी बैंकों का विलय (1 अप्रैल 2020): मोदी सरकार ने 10 बड़े सरकारी बैंकों का विलय करके 4 बड़े बैंक बनाने की घोषणा की। असर: बैंकों का खर्च घटा। उनका मुनाफा बढ़ा। ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं मिलीं। बैंक सस्ता और ज्यादा कर्ज देने में सक्षम हुए। छ्व कृषि कानून (19 नवम्बर 2021): तीनों कृषि कानून वापस लिए गए। असर: करीब सालभर से चल रहा किसान आंदोलन खत्म हुआ। बड़ी योजनाएं…. छ्व जन धन योजना: 2014 से 2021 के बीच 24 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते खोले। सीधे पैसे ट्रांसफर कर 2 लाख करोड़ बचाए। छ्व कोरोना वैक्सीन ड्राइव: दुनिया की सबसे बड़ी ड्राइव चलाई। एक दिन में 2.5 करोड़ डोज का रिकार्ड। अब तक 192 करोड़ से ज्यादा डोज लगा चुके। छ्व प्रधानमंत्री उज्जवला योजना: सितंबर 2019 तक 8 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन बांटे। ताकि वे चूल्हा न जलाए। छ्व किसान सम्मान निधि: सभी किसान परिवारों को हर साल 6 हजार की मदद दे रहे। दिसंबर से मार्च, 2021-22 तक 11.11. करोड़ लोगों को भुगतान। छ्व आयुष्मान भारत: हर साल 5 लाख रु. हैल्थ इंश्योरेंस की स्कीम में 21 मार्च 2022 तक 3.11 करोड़ मरीज इलाज करवा चुके हैं।
उपरोक्त के अलावा नक्सली समस्या, उग्रवाद और पूर्वोत्तर के विभिन्न हिस्सों में दशकों से चल रहे विवाद का स्थायी हल निकलने की संभावना बढ़ गई है। तैयारियों को देखते हुए यह माना जा सकता है कि अगले दो साल में ही देश इन बड़ी समस्याओं से लगभग मुक्ति पा लेगा। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के साथ अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करने वाली मोदी सरकार अब पूरे पूर्वोत्तर में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम यानी अफस्पा (आम्र्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट) को पूरी तरह से हटाने के आखिरी चरण की ओर बढ़ रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हाल ही में इसकी घोषणा कर चुके हैं कि वह पूर्वोत्तर को अफस्पा से मुक्त देखना चाहते हैं। नक्सली समस्या पर भी बहुत हद तक काबू पा लिया गया है, अब 2024 तक समूल निदान की रणनीति बन रही है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अगस्त 2019 में नेशनल लिबरेशन फ्रंट आफ त्रिपुरा के साथ समझौते के बाद बोडो, ब्रू, कर्बी-आंगलांग और ब्रू-रियांग शरणार्थी समेत कई समस्याओं का समाधान बातचीत के जरिये किया जा चुका है। इसके परिणामस्वरूप सात हजार से अधिक उग्रवादी हथियार डालकर मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। पुरानी समस्याओं के समाधान से हिंसक घटनाओं में भी 74 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले चार दशकों से अफस्पा को झेल रहे असम के 24 में से सिर्फ एक जिले में यह रह गया है। मणिपुर और नगालैंड में अफस्पा हटाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। 2015 में त्रिपुरा और 2018 में मेघालय पहले ही अफस्पा से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में चार दशक पुराने आतंकी तंत्र को ध्वस्त करने में सरकार को जिस तरह से सफलता मिली है, उससे वहां स्थायी शांति की उम्मीदें बढ़ गई हैं। पंचायत और नगर पालिकाओं के साथ-साथ ब्लाक और जिला स्तर पर क्रमश: बीडीसी और डीडीसी का चुनाव करा कर सरकार लोकतंत्र को निचले स्तर पर मजबूत करने में सफल रही है। अब 2024 से पहले विधानसभा चुनाव कराकर सरकार वहां की जनता को चुनी हुई सरकार देने की तैयारी में है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2014 में सत्ता संभालने के बाद देश की दशा और दिशा दोनों में सकारात्मक परिवर्तन आया है। यह बात आज देश व दुनिया मानती है। परिवर्तन का यह दौर अभी जारी है। मोदी को साम्प्रदायिक दृष्टि से देखने वाले व मोदी का विरोध करने वाले यह भूल रहे हैं कि मोदी सरकार का एक भी निर्णय ऐसा नहीं है जिसको आधार बना मोदी को साम्प्रदायिकता के कटघरे में खड़ा किया जा सकता हो।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दशकों से चली तुष्टिकरण की राजनीति की कमर अवश्य तोड़ी है। तुष्टिकरण के कारण जो सत्ता सुख पा रहे थे या सत्ता में थे वह आज अवश्य किनारे लगे हुए हैं। यही वर्ग मोदी के खिलाफ सबसे अधिक अपनी आवाज बुलंद कर रहा है। धरातल का सत्य यह है कि 2024 के लोकसभा चुनावों को सम्मुख रखते हुए कह सकते हैं कि नरेन्द्र मोदी पर आज भी साधारण जन से लेकर देश के बुद्धिजीवी वर्ग को सबसे अधिक भरोसा है। जनता के भरोसे को देखते हुए ही मोदी आज विश्व स्तर पर पूरे आत्मविश्वास के साथ देश की बात को कह रहे हैं।
देश के 18 राज्यों में आज भाजपा की सरकार है। संसद में 400 से अधिक सांसद हैं। मतदान का प्रतिशत भी भाजपा का बढ़ता चला गया है, तो इसके पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कार्यशैली है। संगठन और सरकार दोनों पर मोदी के व्यक्तित्व का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि पिछले आठ वर्ष सफलता व विश्वास के वर्ष थे।
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू।
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