ब्रिटेन के न्यूकैसल विश्वविद्यालय के नेतृत्व में किये गये एक अध्ययन में कहा गया है कि 2050 के दशक तक, गंगा के तटीय क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय तूफानों की तीव्रता करीब 20 प्रतिशत बढ़ जाएगी। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में हालांकि कहा गया है कि गंगा और मेकांग नदियों के निचले डेल्टा क्षेत्रों में तूफानों की संख्या में 50 प्रतिशत से अधिक कमी आने का अनुमान है। मेकांग नदी हिमालय के पठार से निकलती है तथा म्यांमा, लाओस, थाईलैंड, कंबोडिया और दक्षिणी वियतनाम से होते हुए दक्षिण चीन सागर से मिल जाती है। अपनी सीमित अनुकूलन क्षमता और स्थिति के कारण भारत के पूर्वी तट, बांग्लादेश तथा वियतनाम के निचले डेल्टाई क्षेत्र उष्णकटिबंधीय तूफानों के कारण न सिर्फ जान-माल के भारी नुकसान बल्कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति भी संवेदनशील हैं, जिसमें वर्षा की पद्धति में बदलाव, प्रतिकूल मौसम की घटनाएं और समुद्र-स्तर में वृद्धि भी शामिल है।
उष्णकटिबंधीय तूफान की स्थिति तब बनती है, जब उष्णकटिबंधीय महासागरों से जलवाष्प के कारण कम दबाव का क्षेत्र बनता है। उष्णकटिबंधीय तूफान में हवाओं की गति 60 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक हो सकती है और इस दौरान भारी बारिश हो सकती है। हर साल दुनिया भर में लगभग 90 ऐसे तूफान आते हैं, जिनमें से अधिकतर के कारण बड़ी आपदाएं आती हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात में हवाओं की गति 120 किमी प्रति घंटे से अधिक होती है और विश्व के करीब सात फीसद चक्रवात उत्तरी हिंद महासागर में पैदा होते हैं। उनमें से अधिकतर अरब सागर के बजाय बंगाल की खाड़ी में बनते हैं।
अध्ययन के लेखक और विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन प्रभाव के प्रोफेसर हेली फाउलर ने कहा है कि तेज हवाओं, बारिश और बाढ़ के कारण आने वाले तूफान से समाज पर बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ता है। इन बदलावों का अध्ययन करने से हमें भविष्य की घटनाओं के मद्देनजर बेहतर तरीके से योजना बनाने में मदद मिलेगी। भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक डॉ. केजे रमेश ने कहा है कि हमें बांधों, पुल, सडक़ों सहित तमाम परियोजनाओं पर भविष्य की आशंकाओं के मद्देनजर फिर से योजनाबध्य तरीके से सोचने व काम करने की जरूरत है।
उपरोक्त अध्ययन को सम्मुख रखते हुए तथा वर्तमान में हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण आ रही समस्याओं का ध्यान रखते हुए समाज व सरकार दोनों स्तर पर जलवायु में आ रहे परिवर्तन पर चिंतन कर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)
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