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अच्छा परिवार

भारतीय और पश्चिमी संस्कृति में जो बुनियादी अंतर है वह यह है कि वे व्यक्ति को इकाई के रूप में लेते हैं और भारतीय संस्कृति परिवार को एक इकाई मानती है। हम परिवार को अपने जीवन का अटूट अंग मानते हैं और अंतिम क्षणों तक मां-बाप, भाई-बहनों से जुड़े रहते हैं और दु:ख-सुख में एक-दूसरे की हर सम्भव सहायता भी करते हैं। लेकिन पश्चिम की विचारधारा में व्यक्ति को इकाई मानते हुए व्यक्ति के सुख-दु:ख को प्राथमिकता देती है। व्यस्क होने पर बच्चे मां-बाप से अलग हो जाते हैं और भाई-बहन भी अपनी अलग डगर पर चल पड़ते हैं।

भारत में आज संयुक्त परिवार टूट रहे हैं और इसको लेकर सामाजिक स्तर पर काफी चिंता व चिंतन दोनों हो रहे हैं। धन व भौतिक सुख-सुविधा तथा निजी स्वार्थ संयुक्त परिवार टूटने का मुख्य कारण माने जाते हैं। अतीत में जाएं तो पायेंगे कि परिवार का एक सदस्य कमाता था तो उसी पर सारा परिवार निर्भर होकर आगे बढऩे लगता था। आज सारे व्यस्क कमाने वाले हैं, तब भी परिवार की पूर्ति नहीं पड़ती, क्योंकि दिखावा बढ़ता जा रहा है और आर्थिक अनुशासन कमजोर होने के कारण परिवार तनाव में आ जाता है। ऐसी स्थिति में परिवार का जो सदस्य अधिक कमाता है वह अलग होने में ही अपनी तथा अपनी इकाई की भलाई मानता है। यह सिलसिला अब हमारे समाज का अटूट अंग ही बन गया है। इसी कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं और ‘हम दो हमारे दो’ वाले परिवार की संख्या बढ़ रही है।

15 मई अंतरराष्ट्रीय ‘परिवार दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। मानव जीवन में परिवार की अहमीयत और सफलता में परिवार की भूमिका को लेकर न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक बच्चों का विकास और जीवन में व्यवहार परिवार पर निर्भर करता है। 26 देशों में हुए इस अध्ययन में सामने आया है कि जिस परिवार में रिश्तों का तानाबाना मजबूत होता है, उन परिवारों में बच्चे नशे और बिगडऩे से बचे रहते हैं। इसके साथ ही ऐसे बच्चों के जीवन में सफल होने की संभावना ज्यादा होती है। यूरोप, अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका में इंटरनेशनल सर्वे ऑफ चिल्ड्रंस वेल-बीइंग के डेटा के मुताबिक अच्छे पारिवारिक माहौल में पलने वाले बच्चों का स्कूल में विज्ञान जैसे विषयों में रुचि और प्रदर्शन बेहतर रहता है। उन्हें सफलता भी ज्यादा मिलती है। अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन के अध्ययन के मुताबिक तेजी से प्रसारित टेक्नोलॉजी के दौर में रिश्तों में बदलाव आना स्वभाविक है। ऐसे में नए सांस्कृतिक मानदंड, प्राथमिकताएं भी बदली हैं। इस दौर में जो परिवार बच्चों के साथ पूरी तरह से जुड़े रहते हैं, उनमें बच्चे आधुनिकता के साथ रीति-रिवाजों को साथ लेकर आगे बढ़ते हैं। परिवार से मिलने वाली भावनात्मक मदद बुरे वक्त को आसानी से पार करने में सक्षम बनाती है। भारतीयों के लिए परिवार जीवन का अहम हिस्सा है। वल्र्ड ऑफ स्टैटिक्स की इसी महीने जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सबसे कम तलाक होते हैं। भारत में तलाक दर 1 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका मे 2.5 प्रतिशत, ईरान में 14 प्रतिशत, मैक्सिको, मिस्र और दक्षिण अफ्रीका में 17-17 प्रतिशत, ब्राजील में 21 प्रतिशत, तुक्रिये में 25 प्रतिशत है। रूस में 73 प्रतिशत और यूक्रेन में 70 प्रतिशत है। प्यू रिसर्च के मुताबिक परिवार का साथ होने पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। यूरोप में कोरोना के बाद परिवार के साथ रहने का चलन बढ़ा है। बुरे वक्त में मां-बाप और दादा-दादी बच्चों के लिए बड़े मददगार बन गए हैं।

जीवन में परिवार का कितना महत्व है इसको लेकर लेखक व बुद्धिजीवी रॉबिन शर्मा अपनी पुस्तक ‘फैमिली विडम’ में लिखते हैं-‘जिन परिवारों मेें सदस्य आपस में एक साथ खेलते हैं, वह एकजुट रहता है। हर सप्ताह एक बार फिल्म देखिए, घर का कोई काम सब मिलकर साथ में पूरा कीजिए और खुलकर हंसिए। अपने बच्चों को साथ में खुश रहने और मिलजुल कर काम करने का महत्व समझाइए। हंसी लोगों के बीच की दूरी को कम करने का सबसे तेज माध्यम है और रिश्तों को गहरा करने का सबसे समझदारी भरा रास्ता भी है। परिवार के सदस्य या मुखिया के रूप में दूसरा कदम होना चाहिए विश्वास बनाना और परिवार के नियमों के पालन को सुनिश्चित करना। परिवार में हम कभी नहीं बताते हैं कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं या हम उनके बारे में कितना अच्छा सोचते हैं। जब आप खुश रहेंगे तो परिवार खुश रहेगा। जब आप शांत रहेंगे तो बाकी सदस्य भी अच्छा महसूस करेंगे। जब आप और परिवार सर्वश्रेष्ठ काम करेंगे तो दोनों की तरक्की होगी। परिवार के सदस्यों की खूबियों और प्रतिभा पर फोकस कीजिए, ताकि आप इसे और बढ़ाने में भूमिका निभा सकें। परिवार के सदस्य के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि परिवार की ग्रेटनेस को तलाशें, उसे ग्रेटनेस की ओर ले चलें। हम सभी दुनिया में एक खास उद्देश्य से आते हैं। सभी में दुनिया को देने के लिए कुछ खास है। परिवार में हम सभी की जिम्मेदारी है कि एक-दूसरे की प्रतिभा को बढ़ाने में भूमिका निभाएं। परिवार में सभी की छवि एक हीरो की तरह होनी चाहिए। एक सर्वश्रेष्ठ पिता-मां या बेटा-बेटी, बहन-भाई बनने के लिए आपको इंसान के रूप में भी सर्वश्रेष्ठ बनना जरूरी है। यानी आप में हमेशा खुद को नई परिस्थितियों के अनुसार ढालने की क्षमता होनी चाहिए। इसके लिए लगातार नई चीजें सीखना, अपनी क्षमताओं को हमेशा बढ़ाकर खुद को नया बनाना आपके परिवार के लिए अहम है। परिवार की परंपरा से जुड़ा छोटे से छोटा काम पूरे प्रेम, समर्पण और सतर्कता से कीजिए। जब आप छोटी-छोटी चीजों और समस्याओं को संभाल लेंगे तो बड़े काम आसानी से हो जाएंगे। जब आप परिवार में पुरानी परंपराओं को निभाते हैं और नई परंपराओं की नींव रखते हैं तो वो आने वाली पीढिय़ों तक पहुंचती हैं और इस तरह आप और आपके पूर्वज हमेशा परिवार के साथ रहते हैं। परंपराएं परिवार को जुड़ाव का उपहार देती हैं।’

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि मृत्यु के बाद इंसान के साथ उसके कर्म ही जाते हैं, शेष सब कुछ यही रह जाता है। दूसरी मान्यता यह है कि किये कर्मों के आधार पर ही इंसान को परिवार यानि माता-पिता, भाई-बहन इत्यादि मिलते हैं। परिवार का इंसान के जीवन में कितना महत्व है, यह तो उपरोक्त किये गये अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों से ही स्पष्ट है। हिन्दू मान्यता को समझते हुए ऐसे कर्म करें कि आपका पूनर्जन्म एक अच्छे परिवार में हो। क्योंकि जीवन की भावी यात्रा में एक बार फिर परिवार ही आपके उत्थान का आधार बनने वाला है। 

झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)

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