चंडीगढ़, (उत्तम हिन्दू न्यूज)- हरियाणा सरकार ने अधिनियमों/नियमों में निर्धारित बोझिल अनुपालन को कम करके नागरिकों के लिए व्यापार और सुगमता से जीवनयापन में सुधार करने के लिए कुछ कानूनों और अधिनियमों को अपराधमुक्त करने की श्रेणी में लाने की कवायद शुरू कर दी है। इसका मुख्य उद्वेश्य अनुपालन को सरल, डिजिटल, अपराधमुक्त और तर्कसंगत बनाना है।
मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आज यहां कानूनों/अधिनियमों को अपराध मुक्त करने के संबंध में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए संबंधित विभागों के प्रशासनिक सचिवों को कानूनों और अधिनियमों को अपराध मुक्त करने बारे 15 दिन के अन्दर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये है। इसके अतिरिक्त अपराध मुक्त की श्रेणी में लाने के लिए विभागों को 319 अधिनियमों की समीक्षा करने का कार्य सौंपा गया है। कौशल ने कहा कि जो कानून गंभीर प्रकृति के नहीं हैं उनके छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए एफआईआर दर्ज कर लोगों को जेल में डालने या उन पर मुकदमा चलाने से बचाना इसका प्राथमिक लक्ष्य है।
उन्हें आपराधिक कृत्यों के रूप में मानने की बजाय नागरिक अपराध के रूप में मानकर प्रशासनिक उपायों, जुर्माने या अन्य गैर-अपराधिक दंडों के माध्यम से विनियमित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य में व्यवसाय और उद्योगों के अनुकूल माहौल को बढ़ावा देने का लक्ष्य मानते हुए कुछ छोटे-मोटे अपराध नियमित हिस्से के रूप में हो सकते हैं उन्हें अपराधिक रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाना चाहिए। राज्य सरकार के विभिन्न विभागों ने 28 अधिनियमों को सफलतापूर्वक अपराधमुक्त करने की पहल की है।
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