सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्र सरकार की अनाज भंडारण योजना बारे जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रिमंडल ने सहकारिता क्षेत्र में ‘दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ को मंजूरी दे दी है। निवेश के बारे में उन्होंने कहा कि कार्यक्रम ‘लगभग एक लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ’ शुरू होगा। योजना के तहत प्रत्येक प्रखंड में 2000 टन क्षमता का गोदाम स्थापित किया जाएगा। इससे सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी, क्योंकि प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) खाद्यान्न भंडारण में विविधता ला सकती हैं। देश में एक लाख पैक्स हैं, जिनमें से लगभग 63,000 परिचालन में हैं। ठाकुर ने कहा कि देश का खाद्यान्न उत्पादन लगभग 3,100 लाख टन है, जबकि भंडारण क्षमता कुल उत्पादन का केवल 47 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में, भंडारण क्षमता उत्पादन की मात्रा से कहीं अधिक होती है। वित्तपोषण के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर ठाकुर ने कहा कि कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों में उपलब्ध कोष का उपयोग इसके लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में, देश में अनाज भंडारण क्षमता फिलहाल 1,450 लाख टन है।
अब सहकारिता क्षेत्र में 700 लाख टन की भंडारण क्षमता को स्थापित किया जाएगा। इससे कुल भंडारण क्षमता बढक़र 2,150 लाख टन हो जाएगी। क्षमता निर्माण के लाभों के बारे में, मंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता के निर्माण से खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी और देश की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी। इससे खरीद केंद्रों तक अनाज की ढुलाई और फिर गोदामों से राशन की दुकानों तक स्टॉक ले जाने में जो लागत आती है, उसमें भारी कमी आएगी। मंत्रिमंडल ने कृषि मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को जोड़ते हुए ‘सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ की सुविधा के लिए एक अंतर-मंत्रालययी समिति के गठन को मंजूरी दी। योजना का समयबद्ध और एकसमान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के कम से कम 10 चयनित जिलों में पायलट आधार पर परियोजना लागू करेगा।
योजना के उद्देश्य को लेकर मंत्री अनुराग ठाकुर ने जो कहा उससे स्पष्ट है कि इससे देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी और फसल नुकसान कम होगा। अनाज भंडारण योजना का लाभ सबसे अधिक छोटे किसान को जो अपने उत्पाद को सुरक्षित जगह रखने की स्थिति में नहीं है उसी को ही मिलने वाला है, छोटे किसान की उपरोक्त कमजोरी का ही लाभ व्यापारी वर्ग उठाता है। सहकारिता क्षेत्र में अनाज भण्डारण से किसान के आर्थिक हित सुरक्षित होंगे, वहीं देश में अनाज संकट की आशंका भी समाप्त होगी। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि सहकारी क्षेत्र में अनाज भंडारण की योजना समय की मांग को पूरा करती है और किसान व देश हित में है।
– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)
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