करनाल, (डा. हरीश चावला)- राष्ट्र संत वाचनाचार्य श्री मनोहर मुनि जी महाराज की 97वीं जन्म जयंती पर श्रद्धालुओं द्वारा अनेक सेवा कार्य किए गए। श्री आत्म मनोहर जैन आराधना मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में गुरु भक्ति गीतों द्वारा उनका गुणगान किया गया। महासाध्वी श्री प्रमिला जी महाराज ने कहा कि महापुरुष समय, स्थान, संप्रदाय की सीमाओं में बंधे न रहकर मानव-मात्र के कल्याण के लिए महान भूमिका निभाते हैं। वाचनाचार्य गुरुदेव वेश से जैन मुनि होते हुए भी मानव मात्र के प्रति आत्मीयता तथा वात्सल्य की भावना से ओतप्रोत थे।
उनको निहारते ही हृदय आनंद से झूमने लगता था, उनके नेत्रों से विशेष अपनापन झलकता था, वे जनजीवन में नैतिक मूल्यों की स्थापना करना चाहते थे। उनका ह्रदय पवित्र- निष्कलुष, वाणी कर्णप्रिय, लेखनी मनोहर, चिंतन मनोहर तथा अनुभूति मनोहर थी। कल्पवृक्ष की तरह भक्तों को वह सभी कुछ देते थे। कामधेनु गौ की भांति सभी मनोरथ पूर्ण करते थे और समाज की आस्था के प्रतीक थे।
श्रद्धालु भक्तों के हृदय में दूध की सफेदी तथा रक्त की लाली की तरह वे उतर गए थे। अनेक शिक्षा, चिकित्सा, संस्कार निर्माण, धर्म जागरण हेतु संस्थापित संस्थान उनके दूरगामी समाजहितैषी सोच के सजीव प्रमाण हैं। कुशल प्रवक्ता, अनुपम व्याख्याकार, सिद्धहस्त लेखक, आशु कवि, उत्कृष्ट साहित्यकार, समाजसुधारक, समन्वयवादी महापुरुष के रूप में अपने बहु-आयामी व्यक्तित्व के द्वारा उन्होंने समाज पर जो उपकार किया, उसके लिए संपूर्ण मानवता उनकी कृतज्ञ है।
उन्होंने बालक-बालिकाओं को सुसंस्कार देते हुए उनके चरित्र निर्माण पर बल दिया और नैतिक, सदाचार पारायण जीवन जीने का संकल्प कराया। इस सुअवसर पर इंद्री राजमार्ग पर विशाल भंडारा ओपीएस ज्वैलर्स परिवार के सौजन्य से लगाया गया जिसमें सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। आत्म मनोहर जैन चैरिटेबल अस्पताल में 24 घंटे की स्वास्थ्य सेवा का शुभारंभ किया गया।
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