Friday, March 29, 2024
ई पेपर
Friday, March 29, 2024
Home » दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतें और सिख समाज

दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतें और सिख समाज

28 मई को दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को अपना नया संसद भवन मिला। 47500 वर्ग मीटर में फैला नया संसद भवन जहां आधुनिक सुविधाओं व तकनीक से लैस है वहीं इसमें भारत की संस्कृति की भी झलक देखने को मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक सेंगोल राजदंड को संसद में स्थापित कर आधुनिकता व प्राचीन प्रतीकों के समावेश का सफल उपक्रम किया है। संसद के नये भवन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसमें 1.40 अरब से ज्यादा जनसंख्या वाले विविधताओं से भरे देश के व्यापक जन प्रतिनिधित्व का समावेश साकार हो सकेगा।

संसद का पुराना और नया भवन हमारी विरासत है। दिल्ली का नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक तथा कनॉट प्लेस सहित एक नहीं अनेक ऐसी इमारतें हैं जो हमारी विरासत से जुड़ी हुई हैं। इन सब भवनों व इमारतों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका सिख समाज ने निभाई है। सिख, मुगलों व अंग्रेजों के साथ अपने अस्तित्व व देश की आजादी के लिए लड़ते रहे और इसी कारण सिख समाज को आज देश की खडग़ भुजा के रूप से पहचाना जाता है। काले पानी के इतिहास के पन्नों को पलटें तो पाएंगे कि पंजाबियों, विशेषतया सिखों का नाम सबसे ऊपर है। देश की आजादी के लिए लडऩे वाले सिख समाज ने दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतों के निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक सहित अधिकतर ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण सोभा सिंह, बसखा सिंह, रंजीत सिंह, मोहन सिंह और धरम सिंह सेठी जैसे सिख ठेकेदारों के कुशल मार्गदर्शन में हुआ। इसे संयोग ही कहें कि नये संसद भवन का निर्माण भी एक सिख नेता के नेतृत्व में ही हुआ है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी पर विश्वास करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें नये संसद भवन के निर्माण की जिम्मेवारी दी जिसे उन्होंने पूरी जिम्मेवारी के साथ निभाया और दिये समय से पहले इसका निर्माण कराया।

दिल्ली में जन्मे और पढ़े हरदीप पुरी विद्यार्थीकाल से ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े रहे और दिल्ली के एक कालेज के अध्यक्ष भी रहे। भारतीय विदेश सेवा में नियुक्ति के बाद वे विदेश विभाग के विभिन्न अहम पदों पर देश को अपनी सेवाएं देते रहे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् आतंकवाद-रोधी समिति के अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। सेवानिवृति के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुए और वर्तमान केंद्र सरकार में एक प्रभावशाली सिख नेता के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हरदीप पुरी ने करतारपुर कोरिडोर बनवाने व खोलने तथा अफगानिस्तान से पीडि़त सिखों व गुरु ग्रन्थ साहिब को लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हाल ही में जालंधर लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने भाजपा के चुनाव प्रचार अभियान में महत्त्पूर्ण भूमिका निभाई और परिणाम स्वरूप भाजपा का ग्रामीण विशेषकर सिख समुदाय में जनाधार बढ़ा। पंजाब और पंजाबियों के लिए गौरव की बात है कि नई संसद के रूप में देश को नया लोकतंत्र का मंदिर मिला है और उस परियोजना को पूर्ण करने में हरदीप सिंह पुरी के रूप में एक पंजाबी नेता की अहम भूमिका रही है।

— इरविन

GNI -Webinar

@2022 – All Rights Reserved | Designed and Developed by Sortd