जी-20 शिखर सम्मेलन में दिल्ली पहुंचे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई द्विपक्षीय मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक बार फिर क्वाड संगठन के प्रति अपने-अपने देश की न सिर्फ प्रतिबद्धता जताई है, बल्कि सीधे तौर पर चीन को संदेश भी दिया है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में शांति के लिए उसकी गतिविधियों पर इस संगठन के जरिये नजर रखी जाएगी। दोनों नेताओं ने जून में वाशिंगटन में हुई अपनी मुलाकात के दौरान जीई जेट इंजन और डब्ल्यूटीओ विवाद को सुलझाने को लेकर जो बातचीत की थी, उसकी भी समीक्षा की। पांच महीनों में यह दोनों नेताओं के बीच तीसरी मुलाकात थी। क्वाड अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया का संगठन है, जो वर्ष 2017 के बाद तेजी से आकार ले रहा है। इन देशों का कहना है कि क्वाड का उद्देश्य हिंद प्रशांत क्षेत्र को खुला, शांतिपूर्ण व सभी के लिए समान अवसर वाला बनाना है। क्वाड नेताओं की मई में जापान में बैठक हुई थी, जिसमें क्वाड के तहत मौजूदा वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवस्था की जगह एक दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था बनाने पर बात हुई थी। मोदी और बाइडन के बीच मुलाकात में भी यह मुद्दा उठा। दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि सेमीकंडक्टर निर्माण से जुड़ी आपूर्ति शृंखला को विश्वस्त बनाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। इस संबंध में अमेरिकी कंपनियों की तरफ से भारत में निवेश करने के फैसले का स्वागत किया गया है। अत्याधुनिक उद्योगों के लिए जरूरी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों पर दोनों नेताओं ने संतोष जताया। क्वाड की अगली बैठक अगले वर्ष भारत में होनी है। करीब 50 मिनट चली मुलाकात में अमेरिका ने वैश्विक संगठनों में बदलाव की भारत की पुरानी मांग को समर्थन देने की बात दोहराई। बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को बतौर स्थायी सदस्य शामिल करने की मांग को समर्थन दिया व वर्ष 2028-29 में भारत के फिर इस परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने का स्वागत किया। बाइडन ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अभियान चंद्रयान-तीन और आदित्य-एल वन की सफलता पर बधाई दी। भारत और अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच कई स्तर पर सहयोग हो रहा है, जिसे मोदी और बाइडन का समर्थन हासिल है। दोनों देश मिलकर अंतरिक्ष में अपने विज्ञानियों को भेजना चाहते हैं। इसे दिसंबर तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार भारत यात्रा पर पहुंचे बाइडन ने जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत ने जो भूमिका निभाई है, उसकी तारीफ की। मोदी और बाइडन ने उम्मीद जताई कि नई दिल्ली में हो रहे शिखर सम्मेलन में सतत विकास, बहुदेशीय सहयोग और आर्थिक नीतियों पर वैश्विक सहमति बनाने को लेकर प्रगति होगी। मोदी-बाइडन बैठक की अहम बातें • भारत-अमेरिका के बीच सामरिक व रक्षा संबंधों की मजबूती की प्रतिबद्धता जताई। • अमेरिका की रक्षा कंपनी जनरल एटामिक्स से 331 एम्क्यू-9बी ड्रोन खरीदेगा भारत। • भारत में जीई एफ-414 जेट इंजन मिलकर बनाएंगी जीई एयरोस्पेस और एचएएल। • जीई एयरोस्पेस व एचएएल में समझौते के लिए वार्ता शुरू होने का भी किया स्वागत। • प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रस्ताव को लेकर तीव्र गति से काम करेंगे दोनों देश। • परमाणु ऊर्जा, 6जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बढ़ाएंगे सहयोग। • अमेरिका ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता का किया समर्थन। • दोनों देश बहुपक्षीय विकास बैंकों को नया आकार देने के तरीकों पर सहयोग बढ़ाएंगे। • अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने ड्रोन खरीद के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय से अनुरोध पत्र जारी करने का किया स्वागत। • अमेरिकी नौसैनिक जहाजों की मरम्मत और दूसरे कार्यों के लिए भारत एक केंद्र के तौर पर विकसित हो। • सितंबर, 2023 में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकी पहल (आईसीईटी) की मध्यावधि समीक्षा करेंगे।
विश्व स्तर पर आ रहे राजनीतिक व आर्थिक बदलाव, बढ़ते टकराव और विशेष रूप से चीन द्वारा भारत और अमेरिका दोनों के प्रति अपनाई जा रही नकारात्मक और आक्रमण नीतियों को देखते हुए भारत और अमेरिका की मित्रता विश्व स्तर पर चीन की मनमर्जी वाली सोच और नकारात्मक नीतियों पर नकेल डालने के लिए आवश्यक है। भारत-अमेरिका मित्रता के साथ-साथ क्वाड यानि अमेरिका, भारत, जापान और आस्ट्रेलिया का मजबूत होना समय की मांग है।
भारत की सीमाओं पर दबाव व टकराव तथा गलत नक्शा बना भारत के क्षेत्र को अपना बताने वाले चीन को लेकर यह आवश्यक हो गया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने रिश्तों को मजबूत करे!
– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)
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