नई दिल्ली (उत्तम हिन्दू न्यूज): भारत प्रौद्योगिकी आधारित मधुमेह देखभाल का वैश्विक नेतृत्व करने के लिए तैयार है। भारत सरकार के मुताबिक डाइबिटिज और अन्य संबंधित विकारों की जटिलताओं में युवाओ की ऊर्जा को बर्बाद नहीं होने दे सकते। सरकार का मानना है कि भारत के विश्व में डाइबिटिज रिसर्च के अग्रिम मोर्चे पर होने के कारण मधुमेह की रोकथाम न केवल स्वास्थ्य सेवा के प्रति हमारा कर्तव्य है, बल्कि राष्ट्र निर्माण के प्रति भी हमारा कर्तव्य है, क्योंकि यह 40 वर्ष से कम आयु की 70 प्रतिशत आबादी वाला देश है। आज के युवा वर्ष 2047 के प्रमुख नागरिक बनने जा रहे हैं।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बताते हुए कहा कि टेलीमेडिसिन के क्षेत्र में भी हमारे पास विश्व के कुछ सर्वश्रेष्ठ स्टार्ट-अप हैं। इन स्टार्ट-अप समूहों ने आर्टिफिशियल इंटलीजेंस (एआई) डॉक्टरों को विकसित किया है। इसके एप्पलीकेशन का उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उनकी टीम ने उनके निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 60 दूरवर्ती गांवों को चुना और ‘डॉक्टर ऑन व्हील्स’ नामक एक टेलीमेडिसिन वैन को काम में लगाया। उन्होंने कहा कि टीम ने सभी 60 गांवों में इसे 3 महीने तक चलाया और बहुत कम समय में सर्वोत्तम परामर्श प्रदान किया गया।
‘डायबिटीज टेक्नोलॉजी एंड थेरेप्यूटिक्स 2023’ (डीटेककॉन 2023) की तीन दिवसीय विश्व कांग्रेस को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महामारी से सफलतापूर्वक निपटने के बाद स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में शेष विश्व भारत की ओर देख रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत तेजी से अधिक से अधिक तकनीक जानकार बन रहा है। 2014 से पहले भारत में लगभग 350 स्टार्ट अप थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले के प्राचीर से स्पष्ट आह्वान करने और 2016 में विशेष स्टार्ट-अप योजना शुरू करने के बाद स्टार्टअप में 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 90,000 से अधिक की उछाल आई है। मंत्री ने कहा कि भारत को विश्व के स्टार्ट अप इको-सिस्टम में तीसरा स्थान दिया गया है।
सिंह ने कहा कि इसी तरह अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग तीन वर्षो के भीतर 100 से अधिक स्टार्ट-अप शुरू हुए हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह बायोटेक स्टार्ट-अप्स 2014 में लगभग 50 से बढ़कर आज लगभग 6,000 हो गए हैं। हाल में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के शुभारंभ को मंजूरी दी जो, देश में चिकित्सा निदान और उपचार को भी बढ़ावा देगा।
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