शिमला (उत्तम हिन्दू न्यूज): तिब्बत के बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने गुरुवार को कहा कि हम लोग अपनी प्राचीन परंपराओं को छोड़कर पाश्चात्य देशों की व्यवस्था पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इस कारण हम पिछड़ रहे हैं, यह सही नहीं है।
धर्मगुरू दलाईलामा ने कहा कि अपनी प्राचीन संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के लिए तिब्बती लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण पर ध्यान दें। मैक्लोडगंज में मंजूश्री (तिब्बतियों के ईष्टदेवता) की प्रज्ञा से तिब्बती बच्चों को परिचित करवाते हुए दलाईलामा ने कहा कि पाश्चात्य देश हमारी व्यवस्था और हमारी औषधियों पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे संबंध दूसरे देश के लोगों के साथ स्थापित हो रहे हैं। यह एक अच्छा संदेश है।
श्री दलाईलामा ने कहा कि मंजूश्री का अध्ययन मानसिक शक्ति के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। बौद्ध धर्म में दिन में किए जाने वाले छह अभ्यासों में मंजूश्री का अभ्यास सबसे पहले करना चाहिए। इससे ज्ञान में और वृद्धि होती है।
उन्होंने बताया कि मंजूश्री का अभ्यास मानव जाति के जीवन में छाए अंधकार को दूर करता है। इससे मानव जाति अपने ज्ञान को दूसरों से साझा कर अपने विचारों और ज्ञान में वृद्धि कर सकती है।
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