देश के शीर्ष पहलवानों ने गंभीर आरोपों की जांच के लिए निगरानी समिति के गठन के बाद अपना धरना समाप्त करने के तीन महीने बाद रविवार को कुश्ती महासंघ के प्रमुख के खिलाफ अपना विरोध फिर से शुरू कर दिया है। खेल मंत्रालय द्वारा छह सदस्यीय निगरानी पैनल के निष्कर्षों को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, जिसने पांच अप्रैल को अपनी रपट सौंप दी थी। पहलवानों का कहना है कि वे हैरान हैं कि, जब वे पदक जीतते हैं तो प्रधानमंत्री मोदी उनका सम्मान करते हैं और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं, लेकिन अब जब वे न्याय मांग रहे हैं तो उन्होंने उनकी दुर्दशा पर आंखें मूंद ली हैं। रियो ओलंपिक खेलों की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री जी ‘बेटी बचाओ’ और ‘बेटी पढ़ाओ’ के बारे में बात करते हैं और सबके ‘मन की बात’ सुनते हैं। क्या वे हमारे ‘मन की बात’ नहीं सुन सकते? जब हम पदक जीतते हैं तो वे हमें अपने घर आमंत्रित करते हैं और हमें बहुत सम्मान देते हैं और हमें अपनी बेटियां कहते हैं। आज हम उनसे अपील करते हैं कि वे हमारे ‘मन की बात’ सुनें।’ साक्षी ने कहा कि ‘मैं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से पूछना चाहती हूं कि वे अब चुप क्यों हैं? चार दिन हो गए हैं, हम सडक़ पर सो रहे हैं। हमें दिल्ली पुलिस द्वारा भोजन बनाने और प्रशिक्षण की अनुमति नहीं दी जा रही है, आप चुप क्यों हैं? मैं सिर्फ इतना कहना चाहती हूं कि आप यहां आओ, हमारी बात सुनो और हमारा समर्थन करो।’ साक्षी ने कहा कि शायद हमारी सच्चाई उन तक नहीं पहुंच रही है इसलिए हम उनसे मिलना चाहते हैं और उन्हें अपने मुद्दों से अवगत कराना चाहते हैं। विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट ने कहा, हमारे पास संबंधित लोगों के टेलीफोन नंबर तक नहीं हैं, जिससे कि हम उन तक पहुंच सकें। इसलिए हम मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी से मुद्दों को उठाने की अपील कर रहे हैं, शायद तब वे हमारी पुकार सुनें। हमारी आत्मा लगभग मर चुकी है, शायद वे देख लें। टोक्यो खेलों के कांस्य पदक विजेता बजरंग ने भी प्रधानमंत्री से गुहार लगाई।
दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन पर बैठी महिला पहलवानों ने सरकार से डब्ल्यूएफआई (भारतीय कुश्ती महासंघ) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीडऩ के आरोपों की जांच करने वाली निगरानी समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक करने तथा डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की है। इन पहलवानों ने इस साल जनवरी में पहली बार धरना प्रदर्शन कर महासंघ को भंग करने की मांग की थी। बृजभूषण शरण सिंह ने हालांकि इन आरोपों को खारिज कर दिया था। दिग्गज मुक्केबाज एमसी मैरी कॉम की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय निगरानी समिति ने अप्रैल के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन सरकार ने अभी तक इसे सार्वजनिक नहीं किया है। विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता विनेश ने सवाल किया, ‘समिति को अपनी रिपोर्ट पेश करने में कितना समय लगने वाला है। तीन महीने हो चुके हैं। क्या रिपोर्ट तब आएगी, जब शिकायत दर्ज कराने वाली लड़कियों की मौत हो जाएगी? हम सरकार से निष्कर्ष जारी करने के लिए कह कर थक चुके हैं। हमने कनॉट प्लेस के एक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की है और चाहते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो।’ उन्होंने कहा कि हमारा (डब्ल्यूएफआई) चुनाव प्रक्रिया से कोई लेना-देना नहीं है। हम अपने करियर को लेकर अधिक चिंतित हैं। ओलंपिक करीब है और हम सही दिशा में तैयारी शुरू करना चाहते हैं। विनेश ने कहा, ‘आप लोग देख सकते हैं कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद महासंघ कौन चला रहा है। हमारे पास केवल सत्य की शक्ति है, जो मुझे लगता है कि पर्याप्त नहीं है। हम न्याय की मांग कर रहे हैं और विरोध जारी रखेंगे।’ बजरंग पूनिया ने कहा कि विरोध करने वाली महिला पहलवानों के साथ खड़ा होना उनका नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा, ‘अगर हम इनके साथ नहीं खड़े होंगे तो और कौन खड़ा होगा? भले ही मुझे अपनी जान कुर्बान करनी पड़े, मैं उस हद तक जाने को तैयार हूं।’ रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा, ‘हम जंतर-मंतर से नहीं हटेंगे। यह लड़ाई नहीं रुकेगी। लड़कियां (महिला पहलवान) समिति के सामने पेश हुई हैं, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई है। हमसे जो वादे किए गए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया गया। दो दिन पहले एक नाबालिग समेत सात लड़कियों ने कनॉट प्लेस थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसके बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रहे हैं। पता नहीं इस ढिलाई के पीछे कौन है।’
महिला पहलवानों द्वारा देश के सर्वोच्च न्यायालय में दी याचिका के उत्तर में दिल्ली पुलिस ने न्यायालय में कहा है कि भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सात महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीडऩ के आरोपों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ को दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि अगर शीर्ष अदालत को लगता है कि सीधे प्राथमिकी दर्ज की जानी है तो ऐसा किया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘सॉलिसिटर आप जानते हैं, हम दूसरे पक्ष को सुने बिना और जब तक हमारे पास कुछ तथ्य न हों, कुछ नहीं करते हैं।’ उन्होंने कहा कि आप जो भी बात है उसे शुक्रवार को अदालत के समक्ष रखें। मेहता ने कहा कि ऐसी धारणा कायम न होने दें कि अदालत के कहने के बावजूद प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। पहलवानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वह कुछ अतिरिक्त सामग्री दाखिल करेंगे। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस और अन्य को नोटिस जारी किया था।
इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि यौन उत्पीडऩ मामले में भी पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा रही है जबकि चाहिये यह था कि पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर छानबीन करने के बाद बनती कार्रवाई करती। महिला पहलवानों के समर्थन में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरुष और महिला पहलवान जंतर मंतर पर दोबारा धरने पर बैठने को मजबूर हुए हैं। उपरोक्त स्थिति पैदा होने से पहले ही खेल मंत्रालय को उचित कार्रवाई कर दोषियों को कटघरे में खड़ा करना चाहिए था, स्थिति और बिगड़े इससे पहले ही खेल मंत्रालय को उचित कार्रवाई कर महिला पहलवानों को न्याय देना चाहिए।
– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)
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