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स्कूल में मासूमों का कत्लेआम

अमेरिकियों का गन कल्चर एक बार फिर मासूमों के लिए जानलेवा साबित हुआ। दक्षिण टेक्सास के एक स्कूल में हुई गोलीबारी में 19 छोटे बच्चों और दो व्यस्कों की मौत हो गई। टेक्सास के युवाल्डे के इस रॉब एलिमेंट्री स्कूल में 18 साल के युवक ने अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में 13 बच्चों समेत स्कूल के स्टाफ सदस्य और पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। पुलिस ने हमलावर को मार गिराया है। इस घटना के बाद अमेरिकी मां-बाप के अंदर डर का माहौल है। कई मां-बाप ने तो बच्चों को स्कूल न भेजने का फैसला किया है। हमले के बाद पहुंचे ढेरों मां-बाप अपने बच्चों की सलामती के लिए दुआ करते दिखाई दिए और एक-दूसरे के गले लगकर रोते रहे। जांचकर्ताओं का कहना है कि आरोपी एक हैंडगन, एक एआर-15 सेमी-ऑटोमैटिक राइफल और उच्च क्षमता वाली मैगजीन से लैस था। हमलावर ने स्कूल में फायरिंग से पहले अपनी दादी को भी गोली मारी जिन्हें एयरलिफ्ट करके अस्पताल ले जाया गया है। युवाल्डे कंसोलिडेटेड इंडिपेंडेंट स्कूल डिस्ट्रिक्ट चीफ ऑफ पुलिस पीट अरेडरेंडो ने कहा कि शूटिंग मंगलवार सुबह 11:32 बजे शुरु हुई और जांचकताओं का मानना है कि हमलावर ने इस जघन्य अपराध को अकेले अंजाम दिया। रॉब एलीमेंट्री स्कूल में सात से 10 साल की उम्र के बीच दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा के छात्र पढ़ते हैं। बताया जा रहा है कि हमलावर खुद भी स्टूडेंट है। यह पहली मर्तबा नहीं है जब टेक्सास के किसी स्कूल में गोलीबारी की घटना हुई। इससे पहले भी कई बार इस तरह की घटनाएं हुई हैं।
उपरोक्त घटना को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमें पूछना चाहिए कि गन लॉबी के खिलाफ हम कब खड़े होंगे और वो करेंगे जो हमें करना चाहिए। बहुत सारी आत्माएं आज कुचली गई हैं। यह वक्त है जब हमें इस दर्द को एक्शन में बदलना है। एक्सपर्ट इस तरह की अंधाधुंध गोलीबारी के पीछे हिंसक वीडियो गेम को भी जिम्मेदार मानते हैं। रिसर्च में दावा किया गया है कि जिन बच्चों ने गन वायलेंस वाले वीडियो गेम को देखा या खेला है, उनमें से 60 प्रतिशत बच्चे तुरंत गन चलाना चाहते थे।
अमेरिका में गन कल्चर को बढ़ावा देने का काम वहां की राष्ट्रीय राइफल्स संघ ने किया है। सूत्रों अनुसार अमेरिका में नेशनल राइफल एसोसिएशन (एनआरए) देश के सबसे शक्तिशाली संगठनों में से एक बन गया है। अमेरिका में बंदूक चलाने में नियंत्रण के लिए जितने भी कानून बने, उन सब कानूनों के खिलाफ एनआरए ने प्रचार किया है। इस संघ का यह मानना है कि बंदूकें चलेंगी तो अमेरिका सुरक्षित रहेगा। हर साल एनआरए 1900 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करता है। यह आंकड़े दुनिया में सभी बंदूक नियंत्रण वकालत समूहों से कई गुना ज्यादा है। एनआरए ने अमेरिका के 535 सदस्यों में से 307 को फंडिंग की है, ट्रम्प को 232 करोड़ रुपए दिए थे: अमेरिकी कांग्रेस के हाउस और सीनेट के 535 सदस्यों में से 307 के चुनाव प्रचार में एनआरए ने आर्थिक सहायता की है। चुनाव आयोग के डेटा के मुताबिक, एनआरए ने ट्रम्प के चुनाव प्रचार में 232 करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च किया। 2012 में एनआरए ने राष्ट्रपति बराक ओबामा को बेदखल करने और मिट रोमनी को चुनने के लिए लगभग 13 मिलियन डॉलर खर्च किए।
अमेरिका में हुई उपरोक्त हिंसक घटना ने एक बार फिर अमेरिका सहित उन सभी देशों को जो गन के कल्चर को बढ़ावा देते हैं कटघरे में खड़ा कर दिया है। उपरोक्त घटना से पंजाबियों को सबक लेना चाहिए। पंजाब के गीतों में जिस तरह गन कल्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा जिस तरह पिछले दिनों पंजाबियों के एक वर्ग को लाइसेंसी हथियार लेने की अपील की गई थी इन सब बातों से स्पष्ट है कि भविष्य में पंजाब में भी ऐसी हिंसक घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
आज बच्चे टी.वी. और मोबाइल पर जो देखते व जो खेल खेलते हैं, उसमें भी गन कल्चर को बढ़ावा मिलता है। इसी कारण पंजाब में हिंसक घटनाएं बढ़ रही हैं। आज गोली चलाना साधारण सी बात हो गई है। तस्करी व माफिया से जुड़े लोग भी हिंसा को ही बढ़ावा दे रहे हैं। अपने आज व आने वाले कल को अगर हिंसात्मक घटनाओं से बचाना है तो हमें हिंसा के मार्ग का त्याग करना होगा। लोकतंत्र में तो हिंसा का कोई स्थान ही नहीं है। अपने मत का सतर्क रहकर इस्तेमाल करना ही हमारे उज्ज्वल भविष्य का आधार है। ‘बुलेट’ की जगह ‘बैलेट’ पर विश्वास करके ही हम अपना वर्तमान व भविष्य मजबूत कर सकते हैं। हिंसा के किसी भी रूप को बढ़ावा देना आत्मघाती ही है।

झुकते नवजोत सिद्धू

-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू।

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