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दान ही साथ जायेगा

एक पौराणिक कथा अनुसार, ‘एक बार देवता, दानव और मानव ब्रह्मा जी के पास गये और उनसे कहा-‘भगवन्! हम प्रगति करें, सुखी रहें और यशस्वी बनें-इसके लिये हमें उपदेश दीजिये, हम क्या करें?’ ब्रह्मा जी ने कहा-‘द’। पुन: उन्होंने हंसकर कहा-समझ गये? देवता बोले-हमें दमन करना चाहिये। दानवों ने कहा-हमें दया करनी चाहिये। मानव बोले-हमें दान करना चाहिये। देवताओं की प्रवृत्ति भोगमयी होती है, अत: उन्हें इन्द्रियों का दमन करना चाहिये। दानव हिंसक होते हैं, इसलिये उन्हें दया का व्यवहार करना चाहिए और मनुष्यों की प्रवृत्ति अतिसंग्रह की है, अत: उनके लिए दान ही उचित है।

उपरोक्त कथा की याद इडेलगिव हुरुन इंडिया द्वारा जारी भारतीय अरबपतियों द्वारा दिये गये दान की सूची देखकर आई। सूची अनुसार एचसीएल टेक्नोलॉजिज के संस्थापक चेयरमैन शिव नादर वित्त वर्ष 2023 के दौरान 2,042 करोड़ रुपये का दान करते हुए सबसे उदार कारोबारी के तौर पर सामने आए हैं। उन्होंने रोजाना औसतन 5.6 करोड़ रुपये दान किया जो वित्त वर्ष 2022 में उनके द्वारा किए गए दान के मुकाबले 76 फीसदी अधिक है। वित्त वर्ष 2022 में उन्होंने रोजाना औसतन 3 करोड़ रुपये से अधिक दान किया था। कुल मिलाकर, 119 दिग्गज भारतीय कारोबारियों ने वित्त वर्ष 2023 में 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक का दान दिया। साथ ही उन्होंने परोपकार कार्यों के लिए 8,445 करोड़ रुपये का दान दिया। यह वित्त वर्ष 2022 में उनके द्वारा किए गए दान के मुकाबले 59 फीसदी अधिक है। विप्रो के अजीम प्रेमजी दूसरे पायदान पर रहे। उन्होंने वित्त वर्ष 2023 में 1,774 करोड़ रुपये का दान किया जो वित्त वर्ष 2022 में उनके द्वारा किए गए दान के मुकाबले 267 फीसदी अधिक है।

तीसरे पायदान पर रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी रहे। उन्होंने परोपकार मद में 376 करोड़ रुपये दिए। उन्होंने काफी हद तक रिलायंस फाउंडेशन के जरिये दान किया जो मुख्य तौर पर शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा पर केंद्रित रहा। जीरोधा के निखिल कामत इस सूची में सबसे कम उम्र के दानदाता के तौर पर सामने आए। सूची में 12वें स्थान पर मौजूद कामत बंधुओं ने साल के दौरान 110 करोड़ रुपये का दान दिया। सूची से पता चलता है कि फिलेन्थ्रॉफी की रोहिणी नीलेकणि साल के दौरान 170 करोड़ रुपये का दान देकर दानदाता महिलाओं में सबसे आगे रहीं। वह सूची में 10वें स्थान पर रहीं। उनके बाद अनु आगा (40वें पायदान पर) और लीना गांधी (41वें पायदान पर) मौजूद हैं। आगा और गांधी में प्रत्येक ने 23 करोड़ रुपये का दान दिया। इस सूची में सात महिला परोपकारियों को शामिल किया गया था। साल के दौरान कुल 14 भारतीयों ने 100 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया जबकि एक साल पहले ऐसे भारतीयों की संख्या महज 6 थी। इसी प्रकार 50 करोड़ रुपये से अधिक दान देने वाले भारतीयों की संख्या बढक़र 24 हो गई जो एक साल पहले 12 थी। साल के दौरान 47 भारतीयों ने 20 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया।

शिक्षा दान देने के लिए सबसे पसंदीदा क्षेत्र रहा। शिक्षा के लिए 62 दान दाताओं ने कुल मिलाकर 1,547 करोड़ रुपये का दान दिया। इसके बाद कला, संस्कृति एवं विरासत के लिए 1,345 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य सेवा के लिए 633 करोड़ रुपये दान दिए गए। धर्मादा कार्यों के लिए दान के लिहाज से मुंबई 39 व्यक्तियों के साथ सबसे आगे रही। उसके बाद नई दिल्ली 19 व्यक्तियों के साथ दूसरे पायदान पर और बेंगलूरु 13 व्यक्तियों के साथ तीसरे पायदान पर रहा। शीर्ष 10 में शामिल अन्य परोपकारियों में कुमार मंगलम बिड़ला, गौतम अदाणी, बजाज परिवार, अनिल अग्रवाल, नंदन नीलेकणी और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साइरस एवं अदार पूनावाला शामिल हैं।

‘नीतिमंजरी’ में कहा गया है कि मनुष्यों में जो धन का दान करता है वह धन्य है उसकी प्रशंसा इन्द्रतुल्य पुरुषों द्वारा उत्तम स्तृतियों से की जाती है। पुरुषों में वह दाता सर्वश्रेष्ठ है जो किसी गरीब याचक की धन देकर मदद करता है।

वास्तव में दान के अनेक रूप हैं—अन्नदान, जलदान, वस्त्रदान, भूमिदान, गृहदान, स्वर्णदान, शय्यादान, तुलादान, पिण्डदान, आरोग्यदान, गोदान इत्यादि। इन दानों की अपनी महत्ता है, इनके अलग-अलग सबके देवता हैं और सबके मन्त्र हैं, जिनका स्मरण संकल्प के समय करने की विधि है, पर कुछ ऐसे भी दान हैं, जिनके लिए किसी प्रकार का धन खर्च नहीं करना पड़ता, इस प्रकार के दानों का भी कम महत्त्व नहीं है, जैसे-मधुर वचनों का दान, प्रेम का दान, आश्वासन दान, आजीविका दान, छायादान, श्रमदान, समयदान, क्षमादान, सम्मानदान, विद्यादान इत्यादि।

दान को लेकर हमारे धर्मग्रंथों में कहा गया है कि मानव जीवन उसी का सफल है जो श्रद्धापूर्वक अपने समथ्र्य अनुसार निस्वार्थ भाव से दान करता है। उपरोक्त दानियों ने अपनी समर्था अनुसार दान किया है। आप अपनी समर्था अनुसार दान दीजिये चाहे किसी प्रकार का हो, क्योंकि अंत में दान ही साथ जायेगा।

झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)  

 
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