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प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता

अमरीका की संस्था प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे के अनुसार करीब 80 प्रतिशत भारतीयों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर अनुकूल राय है व वे उनके कामकाज से संतुष्ट हैं। 10 में से लगभग सात भारतीय मानते हैं कि उनका देश हाल के समय में अधिक प्रभावशाली हो गया है। भाजपा ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता बरकरार है। भारत और दुनिया में अधिकांश लोगों का मानना है कि भारत का वैश्विक प्रभाव मजबूत हो रहा है। यह सर्वेक्षण प्रमाण है। जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले जारी वाशिंगटन स्थित इस थिंक टैंक के सर्वेक्षण में कहा गया है कि दुनिया में भारत के बारे में लोगों की राय सकारात्मक थी और औसतन 46 प्रतिशत लोगों ने अनुकूल राय व्यक्त की, 34 प्रतिशत के विचार प्रतिकूल थे। 16 प्रतिशत ने कोई राय ही नहीं रखी। इजरायल में 71 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी राय भारत को लेकर अच्छी है। प्यू रिसर्च सेंटर एक निष्पक्ष थिंक टैंक है, जो दुनिया को प्रभावित करने वाले मुद्दों, दृष्टिकोणों और रुझानों के बारे में जनता को सूचित करता है। प्यू ने बताया कि यह सर्वेक्षण 20 फरवरी से 22 मई तक किया गया जिसमें भारत समेत 24 देशों के 30,861 वयस्कों ने हिस्सा लिया। इनमें 2,611 भारतीय शामिल हैं। मोदी को लेकर वैश्विक राय और दूसरे देशों के बारे में भारतीयों की राय परखी गई। सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, हर 10 में से लगभग आठ भारतीय मोदी के बारे में अनुकूल विचार रखते हैं, जिनमें से अधिकतर (55 प्रतिशत) का दृष्टिकोण ‘बहुत अनुकूल’ है। प्रधानमंत्री के रूप में यह मोदी का दूसरा कार्यकाल है व वह 2024 में भी सरकार बनाने का विश्वास जता रहे हैं। प्यू सर्वेक्षण में पाया गया कि केवल 20 प्रतिशत भारतीयों ने 2023 में मोदी के बारे में प्रतिकूल राय व्यक्त की। सर्वेक्षण में कहा गया, ‘भारतीय वयस्कों को विश्वास है कि भारत की शक्ति बढ़ रही है। 10 में से लगभग सात भारतीयों का मानना है कि उनका देश हाल ही में अधिक प्रभावशाली हो गया है। 2022 में 19 देशों में किए गए पिछले सर्वेक्षण में औसतन केवल 28 प्रतिशत लोगों ने यह बात कही थी।’

आज का सत्य यही है कि देश विदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर लोगों की राय सकारात्मक ही है। मोदी की छवि व साख को लेकर बहुमत लोगों की सकारात्मक सोच का मुख्य कारण उनके व्यक्तित्व के गुण ही हैं। इंदिरा गांधी के बाद अगर कोई निर्णायक निर्णय लेने की क्षमता रखने का दम रखता है तो आज के समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व के अंतर को समझाते हुए धर्मेन्द्र कुमार सिंह अपनी पुस्तक ‘ब्रांड मोदी का तिलिस्म’ में लिखते हैं : अटल बिहारी वाजपेयी भी आरएसएस के प्रचारक रहे थे, लेकिन उनकी उसके दायरे से बाहर के लोगों से दोस्ती और जान-पहचान थी। अविवाहित होते हुए भी घरेलू जिम्मेदारियां थीं। उनके कई फैसलों में इन सारे मुद्दों का असर था, लेकिन मोदी इससे अलग हैं। न घर, न परिवार की जिम्मेदारी, न दोस्ती। अगर दोस्ती है तो काम की यानी काम के अलावा मोदी कुछ नहीं देखते हैं और न ही सुनते हैं। दोस्ती भी वहां करते हैं, जहां उनकी आकांक्षा पूरी होने वाली होती है। जब उनकी आकांक्षाएं दूसरे की इच्छाओं से टकराने लगती हैं, तो वे उसकी छत्रछाया से निकल कर अपनी अलग पहचान बनाने में हिचकते भी नहीं हैं। जानकारों के मुताबिक उनके जीवन का मूलमंत्र मेहनत और लगन है, इसमें कहीं कोताही नहीं बरतते हैं।…. कहते हैं, मोदी के दिन-रात और सुबह-शाम की शुरुआत राजनीति से होती है और राजनीति पर खत्म होती है। उनमें एक बड़ी कला है कि जिससे पंगा लेते हैं, उससे खुलकर पंगा लेते हैं, जिससे दोस्ती करते हैं उससे खुलकर दोस्ती भी करते हैं, लेकिन दोस्ती को कैसे इस्तेमाल किया जाए, उनसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता है। जिस से दुश्मनी होती है उसे कैसे किनारा करना है उनसे बेहतर कोई नहीं जानता है।…. मोदी की सफलता का राज यह है कि वे पहले समस्या और लक्ष्य को समझने की कोशिश करते हैं। कहा जाता है कि पहले वे समस्या को समझने में काफी समय देते हैं। उनका मानना है कि अगर समस्या को ठीक ढंग से समझ लिया जाए तो समस्या का आधा निदान हो जाता है।… मोदी की आवाज में जादू है। मोदी की वाणी बुलंद है एवं उनके पास बोलने की गजब कला है। उन्हें मालूम है कि कहां क्या बोलना है, कैसे बोलना है, कहां पर आवाज बुलंद करनी है, कहां पर आवाज धीमी करनी है और कहां आवाज को तान देना है, कहां आवाज ढीली करनी है।

मोदी की सफलता के पीछे उनके व्यक्तित्व को लेकर उपरोक्त सब बातें 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को लेकर कही गई थी। आज करीब 10 वर्ष बाद भी उपरोक्त गुणों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व में निखार ही आया है। इंसान की पहली पहचान उसकी शक्ल सूरत और पहरावे के साथ जुड़ी होती है। दूसरी पहचान उसकी वाक-वाणी से होती है और असली पहचान उसके कर्मों से होती है। प्रधानमंत्री मोदी अपने कर्मों द्वारा ही देश तथा विदेश में लोकप्रिय हैं। यह लोकप्रियता ही विपक्षी दलों के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बनी हुई है।

झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू) 
 

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