चंडीगढ़ (चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री अनिल विज, जिनके पास खाद्य एवम औषधि प्रशासन का भी प्रभार है, ने कहा कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा अवैध कार्यों में संलिप्त रक्त केंद्रों के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के तहत गत दिनों कैथल में छापा मारा गया और विभिन्न उल्लंघनयों के तहत दस्तावेजों को जब्त किया गया और ब्लड सैंटर को आगामी कार्य करने से रोकने के लिए निर्देश जारी किए गए।
इस संबंध में उन्होंने बताया कि गत दिवस एक गुप्त सूचना के आधार पर शाह कृषण सेवा धाम ब्लड सैंटर, कैथल पर हरियाणा एफडीए और केंद्र सरकार की संयुक्त टीम ने छापा मारा। टीम का नेतृत्व रिपन मेहता, एसडीसीओ ने किया जिसमें सारिका मलिक एसडीसीओ, अमन डीसीओ मेवात एवं संदीप वर्मा डीआई भारत सरकार शामिल रहे। उन्होंने बताया कि शिकायत के अनुसार ब्लड सैंटर बिना अनुमति के रक्तदान शिविर का आयोजन कर रहा था और इसमें मैडीकल अधिकारी तथा अन्य तकनीकी स्टाफ भी मौजूद नहीं होते थे। जांच के दौरान पाया गया कि ब्लड सैंटर ने पिछले 6 महीनों में बिना अनुमति के कई शिविर लगाए हैं और औषधि नियमों तथा डीजीएचएस की दिशा निर्देशों की भी उल्लघनाए की गई है।
उन्होंने बताया कि गत 30 मई को कैंप के दौरान 90 रक्त यूनिट्स एकत्रित किए गए जिसमें पर्याप्त स्टाफ भी मौजूद नहीं था। उन्होंने बताया कि फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा की सरकार द्वारा 400 रुपए प्रति यूनिट दर तय है जबकि ब्लड सेंटर 550 से 650 रुपए प्रति यूनिट तक अधिक रुपए वसूल कर रहा था जोकि आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत गंभीर गैर-जमानती अपराध है। उन्होंने बताया कि मरीजों के इस्तेमाल में ना हो सकने वाले प्लाज्मा को दवा कंपनियों को जीवन रक्षक दवाओं जैसा कि एल्बुमिनस हीमोग्लोबूलाइंस इत्यादि के उत्पादन हेतु देने का प्रावधान है जिसकी दरें हरियाणा सरकार द्वारा 1600 रुपए प्रति लीटर तय की गई हैं जिसे भी 2900 रुपए प्रति लीटर बेचा गया और ये प्लाज्मा इंतस फार्मासिटीकल तथा नामी कंपनियों ने खरीदा है। सभी दस्तावेज टीम ने सबूत के तौर पर जब्त कर लिए हैं।
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