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शानन बिजली परियोजना को हिमाचल को सौंपने को लेकर राकेश धरवाल ने एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

मंडी/राजन पुंछी : जोगिंदर नगर स्थित शानन बिजली परियोजना को हिमाचल प्रदेश को सौंपने के मुद्दे को लेकर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव राकेश धरवाल ने आज स्थानीय एसडीएम केके शर्मा के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल को शानन विद्युत परियोजना को लेकर एक ज्ञापन भेजा। एसडीएम को सौंपे ज्ञापन में राकेश ने कहा कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने जिला मंडी के जोगिंदर नगर स्थित शानन बिजली परियोजना को हिमाचल प्रदेश को सौंपने के मुद्दे पर दायर एक याचिका का निपटारा कर दिया है और केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को दो महीने के भीतर राज्य के प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने का निर्देश भी दिया है। राकेश ने कहा कि 2022 में प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाने का पूरा प्रयास किया है। केंद्र में कई ऐसे नेता हैं जो हिमाचल से संबंध रखते हैं फिर चाहे किसी भी पार्टी से क्यों न हों। जिनमें भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, खेल, युवा मामलों के मंत्री और सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और प्रदेश के चारों सांसद शामिल हैं। इस ज्ञापन के माध्यम से हम सभी का ध्यान इस मुद्दे की ओर खींचना चाहते हैं। उनसे आग्रह रहेगा कि इस परियोजना को जल्द से जल्द हिमाचल को दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं, ताकि हिमाचल के लोगों को उनका हक मिल सके। 99 साल की लीज अगले साल 2024 में खत्म होने के बाद इस परियोजना पर हिमाचल का हक बनता है। हमारे प्रदेश के सभी नेता जो केंद्र की राजनीति में हैं, उनसे मांग है कि इस मुद्दे को संसद में भी उठाएं और जल्द इसका हल निकाल कर हिमाचल और हिमाचल वासियों के साथ न्याय करें।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की तहसील जोगिंदर नगर में स्थित भारत के पहले पनबिजली ऊर्जा संयंत्र ‘शानन पावर हाउस’ की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 110 मेगावॉट है। भले ही यह बिजली उत्पादन संयंत्र हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी तहसील जोगिंदरनगर में स्थापित है, पर इसका स्वामित्व पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) के नियंत्रण में है। शानन बिजली परियोजना को डिजाइन पंजाब के तत्कालीन अंग्रेज इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी और उनके दल ने मंडी के तत्कालीन शासक राजा जोगिंदर सेन के सहयोग से किया था। आज शानन बिजली परियोजना की 99 फीसदी बिल्डिंग जर्जर हालत में है। साथ ही शानन को बरोट से जोडऩे वाली ट्रालि लाइन भी रख-रखाव के अभाव में जर्जर हालत में है। इस परियोजना से अब तक पंजाब सरकारें करोड़ों रुपए की आमदनी अर्जित कर चुकी हैं। 1924 में हुए समझौते के अधीन इस परियोजना को अविभाजित पंजाब को पट्टे पर दिया गया था। बाद में जब हिमाचल प्रदेश राज्य का गठन किया गया तो भी यह परियोजना पंजाब के पास ही रही। इस मौके पर साथ में बृजमोहन अवस्थी सुरेंद्र ठाकुर और राजेंद्र ठाकुर उपस्थित रहे। 

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