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दिल दहलाने वाला रेल हादसा

ओडि़शा के बालासोर में हुआ भीषण रेल हादसा आजादी के बाद हुआ सबसे बड़ा रेल हादसा है। इस हादसे में बंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी। दक्षिण पूर्वी रेलवे (एसईआर) के प्रवक्ता आदित्य चौधरी अनुसार गत शुक्रवार को हुई दुर्घटना में मृतकों की संख्या बढक़र 275 हो गई है और ओडि़शा के विभिन्न अस्पतालों में घायलों का इलाज जारी है। कोलकाता से करीब 250 किलोमीटर दक्षिण में बालासोर जिले के बाहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब सात बजे यह हादसा हुआ। अधिकारियों अनुसार 1200 कर्मियों के अलावा 200 एंबुलेंस, 50 बस और 45 सचल स्वास्थ्य इकाइयां दुर्घटनास्थल पर काम कर रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना ने गंभीर रूप से घायल यात्रियों को बाहर निकालने के लिए चिकित्सकीय दलों के साथ दो हेलिकाप्टर भेजे हैं। हादसे के कारण 48 ट्रेनें रद्द कर दी गईं और 39 का मार्ग बदलना पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घटनास्थल का निरीक्षण करने और अस्पताल में घायलों से मिलने के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि रेल हादसे के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। किसी को बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि हम घायलों को सर्वश्रेष्ठ उपचार मुहैया कराएंगे। उन्होंने लोगों को बचाने में मदद के लिए स्थानीय लोगों का भी आभार व्यक्त किया, जिनमें से कई लोगों ने रात भर काम किया। मोदी ने कहा कि मैं ट्रेन दुर्घटना प्रभावितों को दी गई सभी मदद के लिए स्थानीय लागों का आभारी हूं। हादसे के बारे में उन्होंने कहा, मेरे पास पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। ईश्वर हमें इस स्थिति से उबरने की शक्ति दे। अधिकारियों अनुसार प्रधानमंत्री ने उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि घायलों और उनके परिवारों को हरसंभव मदद मुहैया कराई जाए। मोदी ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि शोक संतप्त परिवारों को किसी तरह की असुविधा न हो और प्रभावितों को आवश्यक सहायता मिलती रहे। इसके अलावा राहत और बचाव कार्यों का भी उन्होंने जायजा लिया।
ओडि़शा में हुए भीषण रेल हादसे की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन बाहानगा बाजार स्टेशन से ठीक पहले मुख्य मार्ग के बजाय ‘लूप लाइन’ पर चली गई और वहां खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई। समझा जाता है कि बगल की पटरी पर क्षतिग्रस्त हालत में मौजूद कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराने के बाद बेंगलुरु-हावड़़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के डिब्बे भी पलट गए। सूत्रों ने बताया कि कोरोमंडल एक्सप्रेस की रफ्तार 128 किलोमीटर प्रति घंटा, जबकि बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस की गति 166 किमी प्रति घंटा थी।

रिपोर्ट रेलवे बोर्ड को सौंपी गई है। उल्लेखनीय है कि ‘लूप लाइन’ एक स्टेशन क्षेत्र में निर्मित की जाती है और इस मामले में यह बाहानगा बाजार स्टेशन है। इसका (लूप लाइन का) उद्देश्य परिचालन को सुगम करने के लिए अधिक ट्रेनों को समायोजित करना होता है। ‘लूप लाइन’ आमतौर पर 750 मीटर लंबी होती है ताकि कई इंजन वाली मालगाड़ी का पूरा हिस्सा उस पर आ जाए। दोनों ट्रेनों में करीब, 2000 यात्री सवार थे। हादसे में कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1000 से अधिक यात्री घायल हुए हैं। सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि सिग्नल के नाकाम रहने के कारण हादसा हुआ होगा। हालांकि, रेल अधिकारियों ने कहा कि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ‘लूप लाइन’ पर गई थी या नहीं और मालगाड़ी को टक्कर मारी थी, या यह (कोरोमंडल एक्सप्रेस) पहले पटरी से उतरी और ‘लूप लाइन’ पर जाने के बाद वहां खड़ी मालगाड़ी को टक्कर मारी। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि सिग्नल दिया गया था और 12841 (कोरोमंडल एक्सप्रेस) ‘लूप लाइन’ पर चली गई। इस बीच, 12864 (हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस) मुख्य मार्ग पर सामने से आई और इसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए तथा पलट गए। इंटीग्रल कोच फैक्टरी, चेन्नई के पूर्व महाप्रबंधक सुधांशु मणि ने हादसे में शामिल दोनों लोको पायपलट की ओर से कोई गलती होने से प्रथम दृष्टया इनकार किया है।

ओडि़शा के बालासोर में हुए दिल दहलाने वाले रेल हादसे ने रेल व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। रेल हादसे की जांच के लिए कमेटी का गठन तो हो गया है लेकिन जांच एक समय सीमा के बीच आनी चाहिए। घायलों का इलाज और मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। हादसे को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए बल्कि घायलों व मृतकों के परिवार की सहायता करना ही सभी राजनीतिक दलों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)

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