अमेरिका में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस द्वारा आयोजित ‘मोहब्बत की दुकान’ कार्यक्रम में बोलते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि दुनिया इतनी बड़ी और जटिल है कि हर व्यक्ति सब चीजें नहीं जान सकता। यह बीमारी है…भारत में लोगों का एक समूह है जो समझता है कि वे सब कुछ जानते हैं। उन्हें लगता है कि वे भगवान से भी ज्यादा जानते हैं। वे भगवान के साथ बैठ सकते हैं और उन्हें समझा सकते हैं कि क्या हो रहा है। और हां, हमारे प्रधानमंत्री भी उनमें से एक हैं। अगर आप मोदीजी को भगवान के साथ बिठाएंगे तो वह भगवान को समझा देंगे कि ब्रह्मांड कैसे काम करता है और भगवान भ्रमित हो जाएंगे कि मैंने क्या बना दिया। राहुल ने कहा कि उन्हें लगता है कि वे इतिहासकारों को इतिहास, वैज्ञानियों को विज्ञान, सेना को युद्ध और वायुसेना को उडऩे के बारे में समझा सकते हैं। मुद्दे की बात यह है कि वे सुनने को तैयार नहीं हैं। राहुल ने भारतीय अमेरिकियों को बताया कि भारत की विचारधारा खतरे में है और उसे लगातार चुनौती दी जा रही है। सेंगोल मामले पर कहा कि मोदी सरकार बेरोजगारी, महंगाई और नफरत व गुस्सा फैलाने के मुद्दों से नहीं निपट सकती। नया संसद भवन ध्यान भटकाने के लिए है। भाजपा इन मुद्दों पर बात नहीं कर सकती, इसलिए उसे राजदंड की बात करनी पड़ी। आज भारत की विचारधारा खतरे में है और देश में आज जो मुस्लिमों के साथ हो रहा है, वो पिछली सदी के नौवें दशक में दलितों के साथ हुआ था। अगर कोई तब उत्तर प्रदेश गया होगा तो दलितों के साथ यही हो रहा था।
दशकों कांग्रेस भारतीय राजनीति का केंद्र बिन्दू रही है और कांग्रेस का केंद्र बिन्दू नेहरू-गांधी परिवार रहा है। राहुल गांधी अगर आज कांग्रेस के केंद्र बिन्दू हैं या भारतीय राजनीति में महत्त्व रखते हैं तो इसका मुख्य कारण उनकी परिवारिक पृष्ठभूमि भी है। राष्ट्रीय स्तर पर ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि व साख में सकारात्मक बदलाव का एहसास जन साधारण को हुआ और उसी का लाभ भी कांग्रेस को कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिला। स्थानीय मुद्दों का अपना महत्त्व था उन पर न जाते हुए यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दल जो मोदी का विकल्प ढूंढ रहे थे वह भी राहुल गांधी को गंभीरता से लेने लगे थे।
नफरत के बाजार में ‘मोहब्बत की दुकान’ के नारे को भारतीयों ने तो गंभीरता से लिया नहीं लेकिन राहुल गांधी ने अमेरिका में जाकर इसका प्रचार करना शुरू कर दिया है। ‘मोहब्बत की दुकान’ को चमकाने व चलाने के लिए विदेशी भूमि पर प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार को लेकर जिस भाषा का प्रयोग किया गया उससे राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता का पता चलता है। राहुल गांधी की नजर में भारत के मूल मुद्दे अगर महंगाई, बेरोजगारी या अल्पसंख्यक समुदायों की समस्याएं हैं तो राहुल गांधी को तथ्य के साथ अपनी बात विदेशी धरती पर रखनी चाहिए थी। केवल कहने के लिए कही गई बात से ‘मोहब्बत की दुकान’ चलने वाली नहीं है।
दूसरा पक्ष यह है कि अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आ रहे बदलाव को लेकर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत बदल गया है। आज विश्व व्यवस्था में एक स्थान हासिल करने की ओर है। भारत एशिया और वैश्विक वृद्धि में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने को तैयार है। दस साल में दस क्षेत्रों के आधार पर देश में जबरदस्त सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत एक दशक से कम समय में बदल गया है। यह भारत 2013 से अलग है। 10 साल के छोटे से अरसे में भारत ने दुनिया की व्यवस्था में स्थान बना लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के पद संभालने के बाद 2014 से हुए 10 बड़े बदलावों का जिक्र करते हुए ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि भारत में कॉरपोरेट कर की दर को अन्य देशों के बराबर किया गया है। इसके अलावा बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ रहा है। साथ ही वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लगातार रिकार्ड बना रहा है। मॉर्गन स्टेनली ने जारी रिपोर्ट में कहा, विशेष रूप से पहले विदेशी निवेशक भारत के बारे में जो बातें कहते थे, 2014 के बाद से हुए उल्लेखनीय बदलावों के आधार पर उनके कथन को नजरअंदाज करने जैसा है। रिपोर्ट में इन आलोचनाओं को खारिज किया गया है कि दुनिया की दूसरी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने और पिछले 25 साल के दौरान सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजार के बावजूद भारत अपनी क्षमता के अनुरूप नतीजे नहीं दे सका है। रिपोर्ट में कहा गया है, चूंकि भारत की प्रति व्यक्ति आय वर्तमान 2,200 डॉलर से बढक़र 2032 तक लगभग 5,200 डॉलर हो जाएगी। इसलिए खपत को बढ़ावा देने के साथ इसमें तेज बदलाव आएगा।
हम उम्मीद करते हैं कि महंगाई दर कम और अस्थिर रहेगी। भारत का संरचनात्मक परिवर्तन बचत-निवेश की गतिशीलता को तेजी देगा। जीडीपी में मुनाफे का हिस्सा 2020 में अब तक के सबसे निचले स्तर से दोगुना हो गया है और आगे और बढ़ेगा। सरकार के आपूूर्ति पक्ष के सुधारों में हम निवेश में एक बड़ी वृद्धि देख रहे हैं जिससे कर्ज की मांग भी बढ़ेगी। अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी मॉर्गन स्टेनली की रिसर्च ने आपूर्ति नीतियों में सुधारों, अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण, रियल एस्टेट के नियमन और विकास, अधिनियम, लाभार्थियों के खातों में सब्सिडी ट्रांसफर को डिजिटल बनाना, दिवालियापन कोड, कम महंगाई को लक्ष्य बनाना, एफडीआई पर फोकस, कॉर्पोरेट फायदे को सरकार का समर्थन व रिपोर्ट फाइल करते समय उच्च स्तर पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भावना जैसे 10 बड़े बदलावों के आधार पर यह आकलन किया है। उपरोक्त तथ्यों को देखते हुए कहा जा सकता है कि राहुल गांधी की ‘मोहब्बत की दुकान’ ‘ऊंची दुकान फीका पकवान’ वाली स्थिति में है।
– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)
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