जी.एस.टी. के बाद केंद्र व प्रदेशों ने सब लोकल टैक्स समाप्त कर दिए लेकिन हिमाचल ने एजीटी को बरकरार रखा : पटियाल –
उद्योग संघ की किशनपुरा की हंगामी बैठक में सरकार को एजीटी पर घेरा –
बद्दी/रणेश राणा : पूरे भारत में जब वन नेशनल टैक्स लागू हो गया था तो हिमाचल में अलग से टैक्स वसूली का आधार क्या है, इस पर सरकार ने पुर्नविचार नहीं किया तो हमें कोर्ट जाने पर मजबूर होना पड़ेगा। यह बात लघु उद्योग संघ हिमाचल इकाई की मासिक बैठक में किशनपुरा में उद्यमियों ने कहा। उद्योग संघ की बैठक इंडस्ट्रियल एरिया किशनपुरा में प्रदेश संयोजक विचित्र सिंह पटियाल की अध्यक्षता में हुई जिसमें एक दर्जन के करीब प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित हुए। प्रदेश संयोजक ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से उद्योगों पर विभिन्न टैक्सों की बढ़ोतरी हुई है, वहीं विद्युत ड्यूटी भी बढ़ी है। पटियाल ने कहा कि 2016 में जी.एस.टी. लागू होने से पहले हिमाचल में कुछ उत्पादों पर एजीटी (एडिशनल गुड्स टैक्स) लगा हुआ था। जी.एस.टी. के बाद केंद्र व प्रदेशों ने अपने सब लोकल टैक्स समाप्त कर दिए थे लेकिन हिमाचल ने इसको बरकरार रखा।
अनिल मलिक ने कहा कि उस समय लोहा, प्लास्टिक, एल्यूमिनियम व सीमेंट पर यह टैक्स था। हम लंबे समय से यह मांग कर रहे थे इस ए.जी.टी. यानि चुंगी को समाप्त किया जाए ताकि वन नेशन वन टैक्स का नारा सार्थक हो सके। हेमराज चौधरी ने कहा कि एजीटी को हटाने के लिए सरकार गंभीरता से विचार करे क्योंकि जीएसटी के बाद मल्टीपल टैक्स का कोई औचित्य नहीं रह जाता। इस अवसर पर सत्तपाल जस्सल, मोहिंद्र चौधरी, हेमराज चौधरी, अखिलेश यादव, स्टेट आईटी विंग कमेटी संयोजक दीपक कुमार वर्मा, हरीश, सी.एस ठाकुर, तरसेम शर्मा व अशोक कुमार राणा सहित कई उद्यमी उपस्थित थे।
हाईकोर्ट में दायर की है याचिका : राजीव सिंगला
वहीं इस विषय में स्टील इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रांत महामंत्री राजीव सिंगला ने कहा कि हम इस मुद्दे को लेकर लंबे समय से लड़ रहे हैं लेकिन कोई नहीं सुन रहा। उन्होंने कहा कि लोहे के कच्चे माल पर 38 रुपए प्रति टन एजीटी है, वहीं लोहे के तैयार माल पर भी इतना ही टैक्स लगता है। इसके अलावा सरकार ने सीमेंट व प्लास्टिक तथा एल्यूमिनियम पर भी यह टैक्स थोपा है जो कि उद्योगों की लागत में इजाफा करता है। उन्होने कहा कि जब किसी ने हमारे इस दर्द को नहीं समझा तो हमने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हमने कोर्ट में हवाला दिया है कि वन नेशन वन टैक्स की पालना नहीं हो रही है।
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