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अंतरिक्ष में सीधे रूस से होगा मुकाबला, जुलाई में लॉन्च होगा Chandrayaan-3 

नई दिल्ली (उत्तम हिन्दू न्यूज): अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने कहा है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 12 जुलाई को चंद्र मिशन चंद्रयान -3 के तीसरे एडिशन को लॉन्च करने की उम्मीद है। हालांकि, इसरो ने आधिकारिक तौर पर तारीखों की पुष्टि नहीं की, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि प्रोजेक्ट समय पर है। ISRO ने साल 2019 में चंद्रयान 2 लॉन्च किया था।

अंतरिक्ष विभाग के तहत आने वाली राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के बेंगलुरु स्थित मुख्यालय में एक वरिष्ठ अधिकारी ने को मीडिया को बताया था, ‘चंद्रयान-3 मिशन जुलाई के दूसरे हफ्ते में निर्धारित है।’ संभावनाएं जताई जा रही हैं कि 12 जुलाई को इसे लॉन्च किया जा सकता है।

इसरो के अधिकारियों के अनुसार, जहां लैंडर और रोवर पर इन वैज्ञानिक उपकरणों का दायरा ‘चंद्रमा का विज्ञान’ की ‘थीम’ पर काम करेंगे। वहीं एक अन्य प्रायोगिक उपकरण चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के ‘स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्रिक सिग्नेचर’ का अध्ययन करेगा, जो ‘चंद्रमा से विज्ञान’ थीम के अनुसार होगा।

मीडिया रिपोर्ट्स में अधिकारियों के हवाले से बताया जा रहा है कि अंतरिक्ष यान लूनर साउथ पोल के पास सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा। इतना ही नहीं चंद्रयान 3 का मुकाबला रूसी यान लूना 25 के साथ भी होगा। लूना 25 को 13 जुलाई को लॉन्च किए जाने की तैयारी की जा रही है।

बीते साल दिसंबर में ‘अबू धाबी स्पेस डिबेट’ के दौरान बताया था, ‘2013 में भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन के सफल लॉन्च के अलावा, भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के नाम से जाने जाने वाले अपने मिशन को चंद्रमा पर भेजने का दो बार प्रयास किया है। चंद्रमा के लिए तीसरा उपग्रह मिशन, चंद्रयान-3 अगले साल लॉन्च किया जाएगा।’

बताया जा रहा है कि चंद्रयान 2 में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर थे। वहीं, इस स्पेस प्रोग्राम के तीसरे चरण में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल होगा। फिलहाल, चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग को लेकर तैयारियां जारी हैं। मार्च में ही इससे जुड़ी सभी टेस्टिंग कर ली गई हैं। चंद्रयान 3 चांद की सतह से नमूने इकट्ठे, भूकंपीय गतिविधियों को रीडिंग्स जैसे कई काम कर सकेगा। 

चंद्रयान 3 चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने की क्षमता का प्रदर्शन करेगा। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में कहा था, ‘चंद्रयान 3 का मुख्य उद्देश्य लैंडिंग है। इसके लिए बहुत काम किया गया है, जिसमें नए उपकरण बनाना, बेहतर एल्गोरिद्म तैयार करना और फेलियर मोड्स का ध्यान रखना है।’

 
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