Thursday, November 30, 2023
ई पेपर
Thursday, November 30, 2023
Home » सच्चा लोकसेवक

सच्चा लोकसेवक

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) दल जो राष्ट्रपति भवन में आया हुआ था उसको सम्बोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि जिन लोकसेवकों का दिल गरीबों और वंचितों के लिए धडक़ता है, वे ही सच्चे लोकसेवक होते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों का उत्थान करना उनके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। मुर्मू ने कहा, ‘आपको ‘फाइल से फील्ड’ और ‘फील्ड से फाइल’ के बीच के संबंध को समझने की कोशिश करनी चाहिए। इस जन-केंद्रित सतर्कता और संवेदनशीलता से आप फाइलों के साथ कहीं अधिक सार्थक तरीके से जुड़ पाएंगे।’ राष्ट्रपति ने अधिकारियों से कहा कि ‘वे हमेशा उन लोगों के बारे में सोचें जो उन फाइलों से प्रभावित होंगे जिन पर आप काम कर रहे हैं।’ ये अधिकारी वर्तमान में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में सहायक सचिवों के रूप में तैनात हैं। उन्होंने कहा, मैंने पिछड़े इलाकों में रहने वाले वंचित वर्ग के लोगों की कठिनाइयों और समस्याओं को करीब से देखा है। मैंने कुछ संवेदनशील लोक सेवकों को भी देखा है जिन्होंने ऐसे लोगों की मदद के लिए अतिरिक्त प्रयास किए। राष्ट्रपति ने कहा कि एक दयालु लोक सेवक वह होता है जिसका दिल गरीबों और वंचितों के लिए धडक़ता है और यही बात उसे केवल करियर नौकरशाह से अलग बनाती है। उन्होंने कहा कि एक समावेशी, प्रगतिशील और संवेदनशील समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को अधिक स्थान देता है। मुर्मू ने कहा, देश महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के नेतृत्व में विकास की राह पर है। मुझे बहुत खुशी है कि ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है। महिलाएं रूढि़वादिता की दीवारों को तोड़ रही हैं। वे वृद्धि और विकास के सभी पहलुओं में तेजी से बड़ी भूमिका निभा रही हैं।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का यह कहना कि सच्चा लोकसेवक वही होता है जिसका दिल गरीबों व वंचितों के लिए धडक़ता है यह एक ऐसा सत्य है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि लोक सेवकों का छोटा वर्ग ऐसा भी है जो जन-साधारण से दूरी बनाकर चलने में यकीन रखता है। ऐसे वर्ग को दलितों व गरीबों के प्रति सहानुभूति कम होती है, बस एक जिम्मेवारी को निभाने के लिए ही उनसे बातचीत करते हैं। राष्ट्रपति की अधिकारियों को यह सलाह की आप को ‘फाइल से फील्ड’ और ‘फील्ड से फाइल’ के बीच के संबंध के समर्थन की आवश्यकता है, बहुत महत्वपूर्ण है। एक उच्च अधिकारी जब किसी गरीब या दुखी की बात को धैर्य व सहानुभूतिपूर्वक सुनता है तो उसका आधा दुख तो उसी समय दूर हो जाता है। अगर अधिकारी गरीब की भावना को ठेस पहुंचाता है तो उसका दु:ख पहले से अधिक हो जाता है।

लोकतंत्र में आखिरी शक्ति जनसाधारण के हाथ में है, लेकिन कुछ अधिकारीगण उस शक्ति को ही जनसाधारण के विरुद्ध इस्तेमाल करते हैं। जिससे लोकतंत्र कमजोर होता है, जिस आजाद भारत का सपना गरीब ने देखा होता है वह सपना भी टूटता है। परिणामस्वरूप समाज में व्यवस्था के प्रति आक्रोश भी बढ़ता है।

लोकतंत्र की सफलता ही जनसाधारण की भावनाओं का सम्मान करने व उसकी मुश्किलों का समाधान करते हुए आगे बढऩे में है। इस भावना को लेकर जो अधिकारी गरीब व दलित के लिए साकारात्मक भाव रखता है वही सच्चा लोकसेवक है। यही संदेश राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (आईएएस) अधिकारियों को दे रही है। उच्च अधिकारी अगर राष्ट्रपति द्वारा दी सलाह व उसके पीछे की भावना को समझकर कार्य करे तो समाज के गरीब व दलित को तो राहत मिलेगी ही, साथ में व्यवस्था के प्रति भी जनसाधारण का विश्वास बढ़ेगा। स्वराज्य का जो सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा वह भी साकार होगा।

झुकते नवजोत सिद्धू

– इरविन खन्ना (मुख्य संपादक, दैनिक उत्तम हिन्दू)  

 
GNI -Webinar

@2022 – All Rights Reserved | Designed and Developed by Sortd