सांसद ने संसद में पंजाबियों की पीड़ा का जिक्र किया
नई दिल्ली (उत्तम हिन्दू न्यूज): पुराने संसद भवन में वर्तमान विशेष सत्र के ऐतिहासिक अंतिम दिन पर 75 वर्षों की संसदीय यात्रा पर बोलते हुए, सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी ने देश निर्माण में सिखों एवं पंजाबियों की समर्पित भूमिका पर प्रकाश डालते हुए सिखों के संघर्ष और विभाजन के दौरान उन्हें हुई क्षति का जिक्र किया। साहनी ने सदन को संबोधित करते हुए देश के वरिष्ठ नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया कि हम आज का दिन देख सकें। साहनी ने उन महान सिख नेताओं को भी श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्होंने मोहम्मद अली जिन्ना के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और भारत को अपनी मातृभूमि बनाए रखने का फैसला किया। उन्होंने सराहना की कि हम सिख सिर्फ बाय चांस भारतीय नहीं हैं, बल्कि बाय चॉइस भारतीय होने पर गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने बताया कि कैसे, पंजाब को विभाजन के दौरान सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा, जिसमें 2 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई और 1.4 करोड़ लोगों को पलायन के कारण अपने घर छोडऩे पड़े। साहनी ने संसद सदस्य के रूप में जिम्मेदारियों पर जोर देते हुए कहा कि जन प्रतिनिधियों के रूप में, वे सभी सांसद 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं के प्रतीक हैं जो चाहते हैं कि वे सर्वोत्तम संभव तरीके से देशवासियों की सेवा करें। उन्होंने गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कृषि संकट, जातिवाद, सांप्रदायिकता आदि के उन्मूलन के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता का आग्रह किया और कहा कि हम सभी को स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे, राष्ट्र के समावेशी विकास, महिला और युवा सशक्तिकरण आदि जैसी बुनियादी चीजों के लिए समावेशी रूप से काम करना चाहिए। साहनी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव सही मायनों में तभी सफल होगा जब हम देश के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय का अमृत पहुंचा सकेंगे। साहनी ने पंजाब के गौरव शहीद-ए-आजम भगत सिंह को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष को मजबूत करने के लिए इस ही संसद भवन में ब्रिटिश शासन का ध्यान आकर्षित किया था। साहनी ने दिवंगत श्रीमती सुषमा स्वराज, स्व. अरुण जेटली जैसे दिग्गज सांसदों को भी भारतीय संसद में उनके योगदान के लिए साधुवाद देते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अच्छे स्वास्थ्य और लंबे जीवन के लिए प्रार्थना की, जो खराब स्वास्थ्य के बावजूद व्हीलचेयर पर संसद में मौजूद थे। साहनी ने दोनों संसद भवनों के सुचारू कामकाज की आवश्यकता पर भी जोर दिया, संसद में होने वाला व्यवधान लोकतंत्र की मौलिक प्रक्रिया में बाधा के रूप में कार्य करता है। संसद के सुचारू कामकाज के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभानी होगी ताकि इस संस्था की अधिकतम उत्पादकता बनी रहे। साहनी ने सरकार और विपक्ष दोनों के प्रत्येक सांसद से विनम्र आह्वान किया कि उन सभी को सर्वसम्मति से इस बात के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए कि नए संसद भवन में हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कम से कम व्यवधान और स्थगन हो एवं स्वस्थ सकारात्मक एवं रचनात्मक बहस और चर्चा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए अधिकतम कार्य हो ।
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