नई दिल्ली (उत्तम हिन्दू न्यूज): देश की 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ताओं का विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सम्मान किया जाना भारत को एक ऐसी श्रेणी में खड़ा करने की वजह बना है, जहाँ महिलाएँ हर क्षेत्र में सक्षम, समर्थ और सहज खड़ी हो चली हैं। भारत की आशा कार्यकर्ताओं को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) महानिदेशक के ‘ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। यह अवॉर्ड कार्यकर्ताओं को वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए और क्षेत्रीय स्वास्थ्य मुद्दों के लिए नेतृत्व और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करने के लिए दिया गया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सभी आशा कार्यकर्ताओं को बधाई दी है।
इसके साथ ही देश के अपने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू ऐप पर एक वीडियो तेज रफ्तार पकड़ता हुआ नज़र आ रहा है, जो उत्तराखंड निवासी पूनम नौटियाल पर केंद्रित है। कोरोना टीका लगाने के लिए पूनम ने पाँच से सात किलो मीटर रोजाना पैदल दूरी नापी। उन्होंने इस दौरान उन लोगों को भी जागरूक किया, जो वैक्सीन लगाने के लिए एकदम तैयार नहीं हो रहे थे। यह वही पूनम हैं, जिनकी पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में जमकर तारीफ की थी।
मिनिस्ट्री ऑफ यूथ अफेयर्स एंड स्पोर्ट्स ने अपने आधिकारिक कू हैंडल YASMinistry के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा है:
“महिलाएँ जीवन दे सकती हैं, तो जीवन बचा भी सकती हैं।”
उत्तराखंड की पूनम नौटियाल ने कोरोना काल में अपने जिले बागेश्वर में 100% टीकाकरण हासिल कर यह साबित कर दिया कि नामुमकिन कुछ नहीं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने नेटफ्लिक्स इंडिया के सहयोग से #azadikiamritkahaniyan प्रस्तुत किया।
यह उस महिला की कहानी है, जिसने अपनी जान से पहले दूसरों की जानें बचाईं। यह हैं पूनम नौटियाल, जिनकी वजह से भारत के बागेश्वर डिस्ट्रिक्ट में 100% कोविड टीकाकरण मुमकिन हुआ। इनके लिए आज़ादी का मतलब है देश के हर एक नागरिक की जान बचाना।
वीडियो में पूनम नौटियाल को कहते हुए सुना जा सकता है, “महिलाएँ जीवन दे सकती हैं तो जीवन बचा भी सकती हैं। जान बचाने के लिए यदि जान लगानी भी पड़े, तो न ही मुझे कभी इसमें तकलीफ थी और न ही कभी होगी।”
पूनम नौटियाल आगे कहती हैं, “पापा का सपना था कि मैं डॉक्टर बनूँ, लेकिन मिडिल क्लास से ताल्लुक रखने के कारण एनएम बनी। नौकरी छोटी हो या बड़ी हो, मैंने यह ठान रखा था कि लोगों के लिए मुझे कुछ न कुछ तो करना ही है। जितना कि मुझसे बन पड़ेगा, मैं करूँगी, कुछ अच्छा करूंगी और लोगों की सेवा करूँगी। उन्होंने हमें जीवन का मूल्य सिखाया है।”
यह भी कहा पूनम ने
जब मुझे लोगों का टीकाकरण करने का मौका मिला, तो मुझे यह प्रतीत हुआ कि मैं लोगों को जीवन दान दे रही हूँ। टीकाकरण के दौरान कुछ लोग सेंटर पर आ जाते थे, लेकिन कुछ लोग काफी समझाने के बाद भी सेंटर पर नहीं आते थे। लेकिन जिस प्रकार हमने ठान रखा था कि सभी लोगों का टीकाकरण करना ही है, तो इस प्रकार हमने इन लोगों की एक लिस्ट बनाई और इस प्रकार घर-घर जाकर हमने बुजुर्ग, विकलांग, गर्भवती महिलाओं आदि का टीकाकरण किया। भूख-प्यास की परवाह किए बिना हमने इसे सफल बनाया है।
उस दौरान मेरा बेटा बहुत छोटा था, जिसकी देखभाल करने में मेरे पति ने मेरा बहुत सहयोग दिया और टीकाकरण के मेरे प्रण को पूरा करने में मेरा समर्थन किया। उन्होंने मुझसे यही कहा कि मैं देश के लिए अच्छा काम करूँ, ताकि कल हमारे बच्चे भी इससे कुछ सीखें। मैंने इन छः महीनों के दौरान एक भी छुट्टी नहीं ली और इस प्रकार हमने 1 लाख 72 हजार लोगों का सफलतापूर्वक टीकाकरण किया। जब लोग मुझे देखते थे, तो बहुत खुश होते थे कि इस टीकाकरण के बाद हम शायद बच जाएँगे।
आज जब मैं उस समय को याद करती हूँ, तो यही सोचती हूँ कि कैसे मैंने इतना बड़ा काम इतनी आसानी से कर लिया। अपने जीवन में ऐसे काम करने चाहिए, जिनसे महिलाएँ प्रभावित हों। महिलाएँ जो भी ठान लेती हैं, उसे पूरा करके दिखाती हैं।
हमारे देश की इस महान महिला की यह कहानी सदियों तक लोगों के दिलों में गूँजती रहेगी।
इसके साथ ही प्रसार भारती न्यूज़ ने 10 लाख महिला आशा कार्यकर्ताओं को सम्मानित किए जाने के बारे में जानकारी देते हुए कहा है:
WHO ने वैश्विक स्वास्थ्य को आगे बढ़ाने में ‘उत्कृष्ट’ योगदान के लिए भारत की एक मिलियन महिला आशा कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया
आशा भारत में दस लाख से अधिक महिला स्वयंसेवकों का समूह है। उन्हें समुदाय को स्वास्थ्य प्रणाली से जोड़ने और कोरोना महामारी के दौरान गावों में रहने वाले गरीबों के पास प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं पहुंचे, ये सुनिश्चित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए सम्मानित किया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि आशा ने बच्चों को वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों, सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल, उच्च रक्तचाप और क्षय रोग के लिए उपचार और पोषण, स्वच्छता और स्वस्थ जीवन के लिए स्वास्थ्य संवर्धन के मुख्य क्षेत्रों के खिलाफ मातृ देखभाल और टीकाकरण प्रदान करने के लिए काम किया है।
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