नई दिल्ली(उत्तम हिन्दू न्यूज)- सेमी न्यूड शरीर पर करवाई गई पेटिंग को लेकर केरल हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट का कहना है कि महिला के शरीर को अश्लीलता भरी नजरों से नहीं देखना चाहिए।
केरल हाईकोर्ट ने नग्नता और अश्लीलता के बीच के फर्क को बताते हुए कहा कि अक्सर लोगों को उनके शरीर के स्वायत्तता के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है, जो सही नहीं है। यह कहते हुए कोर्ट ने एक महिला पर अश्लीलता को लेकर लगाए गए आपराधिक केस को रफा-दफा कर दिया। दरअसल महिला पर अपने बच्चों से उसके सेमी न्यूड शरीर पर पेंटिंग कर वीडियो बनाने का आरोप है। महिला का कहना है कि उसने महिलाओं के शरीर को लेकर पितृसत्तात्मक धारणा को चुनौती देने और अपने बच्चों को सेक्स एजुकेशन देने के लिए वीडियो बनाया था। कोर्ट का कहना है कि इस वीडियो को अश्लील नहीं कहा जा सकता।
अदालत का कहना है कि कि महिलाओं के शरीर के ऊपरी हिस्से की नग्नता को सेक्सुअल या अश्लील नहीं कहा जा सकता। महिला का नग्न शरीर किसी भी लिहाज से अश्लील नहीं है। कोर्ट ने कहा कि महिला ने बच्चों को सिर्फ कैनवास की तरह अपने शरीर को पेंट करने की अनुमति दी। यह एक महिला का अधिकार है कि वह अपने शरीर को लेकर स्वायत्त फैसले ले सकती है। जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा कि पुरुषों के नग्न शरीर पर कभी-कभी ही सवाल उठते हैं। महिलाओं पर लगातार सवाल उठना पितृसत्तात्मक ढांचे की निशानी है। महिलाओं को उनकी बोल्ड च्वॉइसेज को लेकर प्रताड़ित किया जाता है।
|